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Monday, 4 September 2017

रेडिको खेतान ने दुनिया में रौशन किया रामपुर का नाम

अंतर्राष्ट्रीय स्प्रिट प्रतियोगिता में मिला डबल गोल्ड मैडल
सेनफ्रांसिस्को में हुई प्रतियोगिता में बढ़ाया देश का गौरव
रामपुर। पीएम मोदी के मेक इन इंडिया थीम पर आगे बढ़ते हुए रेडिको खेतान ने विश्वपटल पर रामपुर का नाम रौशन किया है। सेनफ्रांसिस्को में हुई अंतर्राष्ट्रीय स्प्रिट प्रतियोगिता में रामपुर में बनी ‘रामपुर सिंगल माल्ट’ स्प्रिट ने डबल गोल्ड मैडल पर कब्जा जमाया है।
रेडिको खेतान के लिए यह गर्व की बात है कि बीते वित्तीय वर्ष में ही उपभोक्ताओं के लिए लांच की गई ‘रामपुर सिंगल माल्ट’ ने अपने प्रथम वर्ष को पूरा करते ही रेडिको खेतान को विश्व की सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली कंपनियों की प्रतिस्पर्धा में न सिर्फ लाकर खड़ा किया बल्कि सबसे बड़ा पुरस्कार भी दिलवाया। अभी पिछले महीने ही ‘रामपुर सिंगल माल्ट’ को बेल्जियम में हुई अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता ‘मोंडे सेलेक्शन 2017 ग्राण्ड गोल्ड अवार्ड मिला है।


क्या कहते हैं अफसर
रेडिको खेतान के पिछले कई वर्षों की मेहनत है जिसके फलस्वरूप इस गुणवत्ता की सिंगल माल्ट हम उपभोक्ता के लिए प्रस्तुत कर सके। यह बहुत गर्व का विषय है कि रामपुर में निर्मित सिंगल माल्ट ने पूरे विश्व पटल की प्रतियोगिता में डबल गोल्ड , ग्राण्ड गोल्ड मेडल प्राप्त किया।
-केपी सिंह, डायरेक्टर रेडिको खेतान

Tuesday, 8 August 2017

रेडिको ने मेधावियों पर की धनवर्षा, लैपटॉप और चेक बांटे

प्रतिभा का सम्मान.....

राज्यमंत्री बलदेव औलख के हाथों सम्मानित हुए छात्र-छात्राएं

150 बच्चों का उत्सव पैलेस में किया सम्मान, खिला चेहरा
रामपुर। रेडिको खेतान की ओर से मंगलवार को यूपी बोर्ड और सीबीएसई के मेधावी छात्र-छात्राओं पर धनवर्षा की गई। टॉपर्स को लैपटॉप और प्रशस्ति पत्र दिए, वहीं अन्य मेधावियों को चेक और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। सम्मान पाकर बच्चों का चेहरा खिल गया।
उत्सव पैलेस में आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख पहुंचे। जिनका रेडिको खेतान के डायरेक्टर ने अभिावादन किया। इसके बाद कार्यक्रम शुरू किया गया। जिसमें एक-एक कर मेधावी बच्चों को उनके अभिभावकों के साथ मंच पर बुलाया गया और सम्मानित किया गया। बच्चों का सम्मान होने पर कई अभिभावकों की खुशी में आंखें भर आईं। इस दौरान बलदेव औलख ने कहा कि सरकार प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। औद्योगिक घरानों के लोग इस तरह के आयोजन कर रहे हैं, यह अच्छी बात है। सरकार भी इन बच्चों को आगे बढ़ने में पूरा सहयोग करेगी। केपी सिंह ने कहा कि डिस्टलरी से प्राप्त होने वाले राजस्व का कुछ भाग भी रामपुर में लगे तो रामपुर और तरक्की करेगा, जिस पर औलख ने उन्हें आश्वस्त किया। सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज मिलक, कलावती विद्यालय मिलक और सेंट मेरी को भी मेधावी छात्र-छात्राएं देने मे ंक्रमश: प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार दिया गया। अंत में औलख को स्मृति चिह्न भेंट किया गया। संचालन इंद्रपाल सिंह और विकास सक्सेना ने किया।
इस मौके पर अजय अग्रवाल, देवेंद्र सिंह, आलोक अग्रवाल, सुनील सिंह, विजय कुमार, आरके शर्मा, अनूप कौशिक, अजय तोमर, अमित पांडेय आदि मौजूद रहे।
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किसे क्या मिला

-यूपी बोर्ड और सीबीएसई के दस टॉपर्स को दिए लैपटॉप।
-सीजीपीए-10 लाने वालों को तीन-तीन हजार का चेक।
-यूपी बोर्ड के अन्य मेधावियों को भी प्रशस्ति पत्र के साथ चेक।
-डीएमए की सात बच्चियों को दस-दस हजार का चेक।
-जर्नलिज्म का कोर्स कर रही निर्धन छात्रा को 50 हजार का चेक
-कंपनी के मेधावी बच्चों को भी ढाई-ढाई हजार रुपये के चेक।
-कुल 150 छात्र-छात्राओं को किया सम्मानित



-रेडिको खेतान हमेशा ही प्रतिभाओं के साथ खड़ी है। आज बहुत खुशी है कि रामपुर के होनहारों को सम्मानित किया गया। हमारी कंपनी नहीं चाहती कि धनाभाव में कोई प्रतिभाशाली बच्चा आगे बढ़ने से रुके। हम सदैव ऐसे बच्चों की मदद के लिए साथ हैं।
-केपी सिंह, डायरेक्टर रेडिको खेतान

Monday, 17 April 2017

पूरी दुनिया जानती है पाकिस्तान आतंकवादी राष्ट्र: नकवी


केंद्रीय संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी अपने तीन दिवसीय दौरे पर रामपुर आए हुए हैं। बुधवार की सुबह शहर से करीब दस किलोमीटर दूर शंकरपुर स्थित उनके आवास पर उनसे राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय विभिन्न मुद्दों पर बात की, जिसका बड़ी बेवाकी से उन्होंने जवाब दिया। प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के संपादित अंश...।
 सवाल:पाकिस्तान आए दिन सीमा पर हमला होते हैं और हम अमेरिका की ओर मुंह ताकते हैं कि अमेरिका पाक को आतंकी राष्ट्र घोषित करे। हम संसद में खुद उसे क्यों नहीं आतंकी राष्ट्र घोषित करते?
जवाब: बिना घोषित किए ही पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान आतंकवादी देश है। यही वजह है कि आज वह अलग-थलग पड़ गया है। पड़ोसी मुल्क बंग्लादेश और आफगानिस्तान भी उससे दूरी बनाए हैं।

सवाल: यह कैसे कह सकते हैं कि पड़ोसी देशों ने पाकिस्तान से दूरी बना ली है?
जवाब: आपने देखा होगा, सर्जिकल स्ट्राइक जब हुआ तब कोई भी देश उसकी हिमायत में नहीं आया। यह इस बात का सबूत है कि इस्लामिक कंट्री हों या यूरोपियन देश, सभी में पाकिस्तान की छवि अच्छी नहीं है।

सवाल: अभी कश्मीर में सीआरपीएफ के जवानों के साथ अभद्रता का वीडियो वायरल हुआ, इस पर क्या कहेंगे?
जवाब: कश्मीर में घुसपैठ की कोशिश हो या फिर इस तरह की घटनाएं। सभी का मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है। देश की सुरक्षा और आत्मसम्मान ने न कभी मोदी सरकार ने समझौता किया है और न ही करेंगे।

सवाल: बलूचिस्तान के सीएम का अभी दो दिन पहले बयान आया था कि हम पाकिस्तान के साथ भाई-भाई की तरह रहे हैं और रहेंगे, भारत की मदद नहीं चाहिए।
जवाब: दरअसल, बलूचिस्तान की सरकार पाकिस्तान के हाथों की कठपुतली है। दुनिया को बलूच के सीएम नहीं बल्कि, वहां की अवाम क्या चाहती है, उसे देखना होगा। पाक अधिकृत कश्मीर में जनता त्रस्त है और उसे आतंकी अपने लिए सबसे अधिक सेफ जोन समझते हैं।

सवाल: तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा पर चीन हमें आंखें दिखा रहा है, इस पर क्या कहेंगे?
जवाब: अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। वहां के बारे में हमें चीन या किसी अन्य देश से कोई सर्टीफिकेट की जरूरत नहीं है।

सवाल: ईवीएम को लेकर विभिन्न राजनैतिक दल चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं, भाजपा पर आरोप लगा रहे हैं?
जवाब: ये सब नकारात्मक सोच वाली पार्टियों के लोग ही कर रहे हैं और बाल की खाल निकाल रहे हैं। जबकि,  ऐसा करने वालों को सोचना चाहिए कि यह जनादेश का अपमान है।

सवाल: तेलंगाना में मुस्लिम आरक्षण को बढ़ाने की बात कही गई है, क्या यह सही है?
जवाब: धर्म के नाम पर आरक्षण की इजाजत संविधान भी नहीं देता। आरक्षण जातिगत आधार पर नहीं बल्कि, उनकी आर्थिक स्थिति के आधार पर होना चाहिए। हमारी सरकार गरीब, पिछड़ों, अति पिछड़ों के लिए काम कर रही है। बिना तुष्टिकरण के आखिरी व्यक्ति तक विकास पहुंचे, इस सोच पर काम हो रहा है। यही वजह है कि न सिर्फ भारत बल्कि, पूरी दुनिया में मोदी जी गरीबों के सच्चे हितैषी के रूप में उभर रहे हैं। जनता का भरोसा सरकार पर दिनोंदिन बढ़ रहा है।
 

Wednesday, 1 March 2017

फिल्म इंडस्ट्री में अभी तो शुरुआत है, विश्व पटल पर छाएगा मेरा रामपुर

रामपुर शहर की गलियों में बचपन गुजारने वाले अभिनेता रजा मुराद की हिंदी सिनेमा जगत की हिट फिल्म 'नमक हराम' पहली फिल्म रही। इसके बाद 'बिंदिया और बंदूक' आयी। फिर एक के बाद एक फिल्में आती रहीं। प्रेमरोग, राम तेरी गंगा मैली, खुद्दार, राम-लखन, त्रिदेव, प्यार का मंदिर, आंखें, मोहरा, गुप्त समेत करीब तीन सौ फिल्मों में अभिनय किया। बालीवुड के अलावा भोजपुरी सिनेमा, पंजाबी के अलावा कई अन्य भाषायी फिल्में भी इन्होंने की। वह बड़े गर्व से कहते हैं कि फिल्म इंडस्ट्री में अभी तो शुरुआत है, विश्व पटल पर छाएगा मेरा रामपुर....!

वह कहते हैं कि यह मेरा शहर है, मेरा रामपुर है। यहां की मिट्टी की सौंधी सी खुशबू अभी भी मेरी सांसों में समाई हुई है। यहां की फिजा में घुली है उर्दू की मिठास और हिंदी का प्यार। गंगा-जमुनी तहजीब के इस मरकज ने अब तरक्की की राह पर चलना शुरू कर दिया है। सड़कों का चौड़ीकरण हो रहा है, ओवर ब्रिज बन रहे हैं, शिक्षा के संस्थान भी खुल रहे हैं और तकनीकी शिक्षा की ओर शहर के युवाओं का रुझान तेजी से बढ़ा है। ये तो शुरुआत है, बदलाव की यह हवा और तेजी पकड़ेगी, फिर मेरा रामपुर विश्व पटल पर छा जाएगा। यह उम्मीद भी है एक सपना भी।
शहर के बीचोबीच, हाथीखाना के पास एक मुहल्ला है जीना इनायत खां। यहीं से हुई मेरे जीवन की शुरुआत। मेरे वालिद हामिद खां उर्फ मुराद साहब यहां नगर पालिका में ईओ थे। रामपुर की एक खास बात है। यहां के लोग मुहब्बत में कोई भी नाम दे देते हैं। मेरे वालिद लंबे-चौड़े थे, खूबसूरत थे, उनकी आंखें कुंजी थीं। लिहाजा, शहर के लोगों ने उन्हें हामिद बिल्ला का ऐसा नाम दिया, जो आज भी मशहूर है। रामपुर की तंग गलियों से मुम्बई तक का सफर भले ही मैंने तय किया। लेकिन, आज भी मेरी सांसों में मेरा शहर बसा हुआ है। रामपुर की गंगा-जमुनी तहजीब मेरी जिंदगी में इस तरह समाई है कि कभी उससे दूर नहीं हुआ। उर्दू के अल्फाजों में वो पैनापन, जिसने बॉलीवुड में मुझे अलग पहचान दिलाई, ये मेरे शहर की ही देन है। यहां से मुम्बई गए करीब पचास साल हो गए। इस लंबे वक्त में शायद ही कोई ऐसा दिन रहा होगा, जब अपने शहर की मुझे याद न आयी हो। यह शहर से लगाव ही है कि जब-जब मौका मिलता है, मैं अपने शहर जरूर आता हूं। वह कहते हैं कि बीते कुछ समय से शहर तरकी की राह पर है। उम्मीद ही नहीं भरोसा है कि शुरुआत में भले ही विकास की यह रफ्तार धीमी है लेकिन, वक्त के साथ साथ तरक्की की गति भी बढ़ रही है। रामपुर में प्रतिभाएं बहुत हैं पर, उन्हें तलाशने और फिर तराशने की जरूरत है।
 
 

रुपहले पर्दा और पर्दे के पीछे भी रामपुर की छाप
रुपहला पर्दा हो या फिर पर्दे के पीदे रामपुर की छाप रही है। यहां के बाल कलकार अजान से लेकर यूथ एक्ट्रेस रुख्सार तक अपनी कला पर्दे पर दिखा रही हैं। वहीं निर्माता निर्देशक शाहिद वहीद खां हों या फिर फिलहाल में ही रिलीज हुई फिल्म मेरे ब्रदर की दुल्हन के डायरेक्टर अली अब्बास जफर, दोनों ने ही पर्दे के पीछे रहकर अपने हुनर को दर्शकों के लिए परोसा है।

शाहिद वहीद खां
निर्माता-निर्देशक, मयूर फिल्मस
(अब तक 45 सीरियल में निर्देशन। खाली हाथ, रिश्ते, यादगार सीरियल। )
अपने शहर से शायर, कलाकार, कवि तरह-तरह की प्रतिभाआें ने रामपुर का नाम रोशन किया है। शहर तरक्की की राह पर है। शिक्षा का स्तर उठा है, स्वास्थ्य सेवाएं पहले से बेहतर हुई हैं। लेकिन, शहर और भी तरक्की कर सकता है। इसकी अच्छी संभावनाएं हैं। यहां उच्च शिक्षा और प्रोफेशनल कोर्स के संस्थान खोले जाएं। कलाकार को मंच मिले, इसका प्रयास किया जाना चाहिए। यहां छोटे-छोटे सभागार और विवाह मंडप हैं, एक भव्य हाल की आवश्यकता है, जहां थियेटर हो सके। थियेटर से ही कला निखरती है। यह रामपुर के लिए बहुत जरूरी है।

रुखसारसिने कलाकार
अपने शहर की रुखसार भी सनम बेवफा फिल्म से बालीवुड में धाक जमाने के बाद अब टेलीविजन चैनलों पर धूम मचा रही है। वह कई धारावाहिकों में काम कर चुकी है। आजकल सोनी चैनल पर कुछ तो लोग कहेंगे, में अपनी कला का जौहर दिखा रही है।

ये होना चाहिए-तकनीकी शिक्षा के खोले जाएं संस्थान
-आर्ट एवं कल्चर के लिए मिले बढ़ावा
-हिंदी, उर्दू के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा को दिया जाए बढ़ावा
-हाईटेक युग में इंग्लिश स्पीकिंग के खुलें संस्थान
 

कुंद हुई रामपुरी चाकू की धार....अब कुछ और भी हैं इस शहर की पहचान

किसी जमाने में चाकू की धार के लिए मशहूर रामपुर को अब एक नई धार मिल गई है। देश में रामपुरी चाकू के बाद अब आरी की धार चल रही है। पंजाब के बाद रामपुर में सबसे ज्यादा आरी का निर्माण हो रहा है। वहीं गार्डन टूल्स और कन्नी के कारोबार ने भी देश में रामपुर को एक नई पहचान दी है। मौजूदा समय में आरी, गार्डन टूल्स और कन्नी की सप्लाई देश में नागालैंड, मेघालय, कर्नाटक, कलकत्ता, असम, बंगलौर, दिल्ली, उत्तराखंड और बिहार में हो रही है। छोटी रकम से शुरू हुआ यह कारोबारा मौजूदा समय में सालाना दस करोड़ के टर्नओवर तक पहुंच चुका है। वहीं हार्डवेयर के क्षेत्र में अभी भी अपार संभावनाएं रामपुर में छुपी हुई हैं।

 
बॉलीवुड में थी रामपुरी चाकू की धाक
साठ और सत्तर के दशक में हिंदी फिल्मों के खलनायक रामपुरी चाकू पर अक्सर इतराते देखे गए। लेकिन, धीरे-धीरे रामपुरी चाकू की धार कुंद होती चली गई। अब हालत ये है कि चाकू के कारोबार से जुड़े लोग चायना चाकू और दूसरे कारोबार से जुड़ने लगे हैं।
आरी,कन्नी और गार्डन टूल्स के मेन मेन सप्लायर मशकूर मियां बताते हैं कि अठारहवीं सदी के दौरान जब आग उगलने वाले हथियारों का चलन हुआ तब रामपुर के नवाब फैजुल्ला खां ने अपनी सेना के लिए छोटे हथियारों के रूप में चाकू का इस्तेमाल करना शुरू किया था। भारत के दूसरे स्टेट के नवाब और राजाआें ने भी रामपुरी चाकू को अपनी शान के रूप में रखा। रामपुर के बेमिसाल पिस्तौलनुमा चाकू की छाप अंग्रेजों तक पर पड़ी। सन् 1949 में जब रामपुर स्टेट का आजाद भारत में विलय हुआ तक चाकू के व्यवसाय में सबसे ज्यादा उछाल आया। रामपुर में ही चाकू बेचने की बाध्यता समाप्त हो गई, कारोबारी दूसरे शहरों में भी रामपुरी चाकू बेचने लगे। जिससे चाकू उद्योग कभी बुलंदियों पर था। आलम यह था कि रामपुर बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन से उतरते ही लोगों में बटनधारी चाकू को दखेने की हसरत नजर आती थी। बाजार में तीन इंच से लेकर पंद्रह इंच तक के एक तरफा धार, दो तरफा धार और बटन से खुलने वाले चाकू बहुत मशहूर थे। लेकिन, 1990 में राज्य सरकार ने चार इंच से ज्यादा लंबे ब्लेड के चाकू पर प्रतिबंध लगा दिया। तब से यह कारोबार मंदा होता चला गया। पुरानी तहसील पर कभी पचास से ज्यादा दुकानें हुआ करती थीं। दो हजार से अधिक कारीगर जुटे रहते थे। आज महज तीन दुकानें ही बची हंै। ये लोग भी चायना चाकू, कैंची व अन्य वस्तुएं बेचकर कारोबार कर रहे हैं।
हालांकि वक्त के साथ रामपुरी चाकू की धार भी कुंद पड़ती चली गई। कारोबार मंदा होने पर इस धंधे से जुड़े हुनरमंदों ने दूसरे व्यवसाय की ओर रुख करना शुरू कर दिया। बेरोजगारी बढ़ी तो लोगों ने आरी, कन्नी और गार्डनटूल्स का कारोबार शुरू कर दिया। स्थानीय हुनरमंदों ने रामपुरी चाकू की धार की जगह आरी की धार को तेज कर दिया। लघु उद्योग के रूप में शुरू हुआ यह कारोबार धीरे-धीरे रामपुर की पहचान बनने लगा। वहीं कन्नी और गार्डन टूल्स ने भी देश में रामपुर को एक नई पहचान दी।

यहां आज भी हैं कारखाने
मुहल्ला पुरानागंज, दुमहला रोड, नालापार, मदरसा कोना, पक्का बाग, जेल रोड, शुतरखाना, मोचियों वाली गली, मंगल की पैठ और मियां का बाग और बिलासपुर गेट में लगे हैं कारखाने।


फैक्ट फाइल-
-18वीं सदीं में नवाब फैजुल्ला खां के जमाने से हुई रामपुरी चाकू की शुरुआत
-1949 में स्टेट विलय के बाद पूरे भारत में फैल गया रामपुरी चाकू का कारोबार
-करीब दो हजार कारीगरों के हुनर से चमकी चाकू की धार
-पुरानी तहसील पर बनी मुख्य बाजार, 50 बड़े कारोबारियों ने फैलाया कारोबार
-1990 में राज्य सरकार ने चार इंच से लंबे चाकू पर लगाया प्रतिबंध
-अब कुंद हुई धार तो कारीगर और दुकानदारों ने ढूंढ लिया दूसरा कारोबार
-जिले में अब आरी, कन्नी और गार्डन टूल्स के छोटे-बड़े करीब 75 कारखानें चल रहे हैं।
-1600 हुनरमंदों को मिल रहा है रोजगार
-नागालैंड, मेघालय, कर्नाटक, कलकत्ता, असम, बंगलौर, मद्रास, दिल्ली, उत्तराखंड और बिहार में हो रही है सप्लाई।
-सप्लाई औसतन रोजाना 1100 आरी और 3000 कन्नी।
-सभी कारोबारियों का मिलाकर सालाना दस करोड़ रूपए तक पहुंचा टर्नओवर


फैक्ट फाइल-

Tuesday, 28 February 2017

रामपुरी वायलिन से गूंज रहे ‘मुहब्बत’ के तराने

वायलिन...नाम सुनते ही फिल्म मोहब्बतें का वह दृश्य सामने आ जाता है, जिसमें शाहरुख खान वायलिन बजा रहे होते हैं। जी हां, ये वायलिन अपने शहर में न सिर्फ बनते हैं बल्कि, देश और विदेशों की आवोहवा में संगीत की धुन घोलते हैं। ये कारोबार आज रामपुर शहर के कारखानों से निकलकर दूसरे देशों तक जा पहुंचा है। लेकिन, बात यहीं नहीं थमती। जिस तरह युवाओं पर वायलिन का जादू चढ़ा है, उससे इस कारोबार में और भी संभावनाएं हैं। देश ही नहीं विदेश तक धूम मचा रहे रामपुरी वायलिन के कारोबार से जुड़ी पेश है खास रिपोर्ट...!

 


ऐसे तैयार होता है वायलनि
एनजीएम म्युजिकल कंपनी के स्वामी ग्यासुद्दीन बताते हैं कि कश्मीर और हिमाचल से फर्र की लकड़ी, कोलकाता से गज बो, तार, खूंटी, प्ले पीस, फिंगर बोर्ड, एंड पिन और साउंड के लिए जर्मनी की मयपिलवुड से हम लोग  वायलिन तैयार कराते हैं। देश-विदेश में रामपुरी वायलिन के नाम से मशहूर इस कारोबार से शहर में करीब 250 लोग जुड़े हैं। लगभग दो सौ परिवारों की रोजी-रोजी का जरिया बने इस कारोबार को हमारी म्यूजिकल कंपनी समेत शहर की चार मुख्य म्यूजिकल कंपनियां बढ़ावा दे रही हैं। हालांकि, सरकार इसे विदेशी वाद्य यंत्र मानती है, इसलिए टैक्स के दायरे में रखा है। फिर भी यह कारोबार देश के प्रमुख शहरों के रास्तों से होता हुआ पड़ोसी मुल्कों में भी अपनी पहचान बनाए हुए है। टैक्स फ्री कराने के लिए कानूनी जंग लड़ी जा रही है। कमिश्नरी में वाद चल रहा है। सरकारी सहूलियतें मिलीं, टैक्स फ्री हुआ तो कारोबार में और भी उछाल आ जाएगा। फिल्मों में वायलिन दिखाए जाने से युवाओं का शौक वायलिन की ओर बढ़ा है। सो संभावनाएं अच्छी हैं।

सत्तर साल पुराना है इतिहास
रामपुरी वायलिन का इतिहास करीब सत्तर साल पुराना है। संगीत और काष्ठशिल्प के शौकीन अमीरुद्दीन और हसीनुद्दीन दोनों सगे भाइयों का हुनर रामपुर में वायलिन का जनक बना। दरअसल, अमीरुद्दीन एक बार बाजार गए, वहां जापान का बना हुआ वायलिन उन्हें पसंद आया। उन्होंने फुटपाथ पर लगे फड़ से इसे खरीद लिया और यहां अपने घर ले आए। एक दिन मचान से कोई सामान उतारते वक्त वायलिन नीचे गिरा और टूट गया, जिस पर उन्हें बड़ा दुख हुआ। उन्होंने काष्ठशिल्प में माहिर अपने भाई हसीनुद्दीन से कहा कि किसी भी तरह वह वायलिन बना दें। बस यहीं से रामपुरी वायलिन की शुरुआत हो गई।

मुहब्बते फिल्म ने जगाई ललक
वायलिन कारोबार करीब 13-14 साल पहले मुहब्बतें फिल्म की रिलीजिंग से उछला। इस फिल्म में शाहरुख खान को वायलिन बजाते हुए दिखाया गया है। तब से युवाआें में वायलिन सीखने की दिलचस्पी पैदा हो गई। इसके चलते यहां के वायलिन की मांग तेजी से बढ़ती गई। आज भी वायलिन वाद्य यंत्रों के शौकीन युवाआें में अपनी पकड़ बनाए हुए हैं।

चाइनीज वायलिन से है मुकाबला
रामपुरी वायलिन का मुकाबला चाइनीज वायलिन से है। फिलवक्त में कम कीमत के बावजूद चायना मार्केट को यहां का वायलिन टक्कर दे रहा है। कारोबारी मोहम्मद जफर के मुताबिक पंद्रह-सोलह सौ रुपये में चाइनीज वायलिन आ जाता है जबकि, रामपुरी वायलिन की कीमत ज्यादा है। फिर भी यहां का वायलिन अधिक पसंद किया जाता है। शुरुआती दौर में करीब चार-पांच साला पहले चायना वायलिन ने टक्कर दी थी लेकिन, मौजूदा वक्त में रामपुरी वायलिन की डिमांड ज्यादा है।

यहां बनते हैं रामपुरी वायलिनसल्वाकिया म्यूजिकल्स, रामपुर
रागाज म्यूजिकल्स, रामपुर
धुन म्यूजिकल, कंपनी, रामपुर
एनजीएम म्यूजिकल्स, कंपनी, रामपुर

कोलकाता समेत कई शहरों से आता है कच्चा माल
रामपुरी वायलिन बनता भले ही अपने शहर में है। लेकिन, इसके लिए कच्चा माल कोलकाता समेत दूसरे कई शहरों से आता है। साउंड के लिए जो लकड़ी इस्तेमाल होती है, वह जर्मन की है। जो दिल्ली और गाजियाबाद से मंगवायी जाती है। इसके अलावा गज बो, तार, खूंटी, फिंगरबोर्ड, एंडपिन आदि कोलकाता से मंगवायी जाती हैं। जबकि, फर्र की लकड़ी हिमाचल और कश्मीर से खरीदी जाती है।

यहां-यहां होती है सप्लाई
कोलकाता, दिल्ली, तमिलनाडु और पंजाब। जबकि कोलकाता, तमिलनाडू, दिल्ली से श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफ्रीका को एक्सपोर्ट होता है।

हुनर बना रोजी का जरिया
हाथों का हुनर कभी बेकार नहीं जाता। जी हां, वायलिन बनाने वाले कारीगर भी यही मानते हैं। उनकी रोजी-रोटी का जरिया उनका हुनर बना हुआ है। शेप सेटिंग करने वाले कारीगर मोहम्मद फूल कुरैशी कहते हैं कि आधा घंटा में एक वायलिन की शेप तैयार कर देते हैं। 1500-2500 रुपये माहवार कमा लेते हैं। नेक तैयार करने वाले अजीज अहमद 25 साल से अपना हुनर दिखा रहे हैं। वह कहते हैं कि कारीगरी ही उनके परिवार की आय का स्रोत है।

फैक्ट फाइल-
-जिले में वायलिन कारीगर करीब 200
-कच्चा माल लाने-ले जाने के कमीशन एजेंट करीब 10
-शहर में वायलिन निर्माता कंपनियां चार
-मुख्य वायलिन कारोबारी 10-15
-कोलकाता, कश्मीर, हिमाचल से रॉ मेटेरियल
-ट्रांपैरेंट थिनर कलरफुल वायलिन की डिमांड ज्यादा
-एक वायलिन 900-1200 में बनकर तैयार
-मार्केट में कंपलीट वायलिन सेट की कीमत 2000-2500 रुपये
-देश में कोलकाता, पंजाब, तमिलनाडू और दिल्ली सप्लाई
-श्रीलंका, अफ्रीका, पाकिस्तान और बांग्लादेश तक कारोबार

रामपुर रजा लाइब्रेरी, यानी बेशकीमती पांडुलिपियों का खजाना



बदलते जमाने के साथ हाईटेक हुई रजा लाइब्रेरी
एशिया की दूसरे नंबर की लाइब्रेरी रजा लाइब्रेरी ने भी बदलते जमाने के साथ अपना कलेवर बदला है। बेशकीमती पाण्डुलिपियां अब आन लाइन होंगी। पाण्डुलिपियों को संरक्षित किया जा रहा है। फारसी में लिखी रामायण का हिन्दी में अनुवाद हो चुका है। नवाब हामिद अली खां ने 1905 में किला में इस लाइब्रेरी की शुरुआत की। आजादी के बाद नवाब रजा अली खां ने कुतुब खाना सरकारी से बेशकीमती किताबों और पाण्डुलिपियों को हामिद मंजिल में महफूज किया था।

लाइब्रेरी की धरोहर
उर्दू, हिंदी, फारसी, अरबी, संस्कृत, पश्तो और टर्की की किताबें हैं। पांडुलिपियां हैं।

यहां से आते हैं शोधार्थी
सऊदी अरब, लंदन, जर्मन, फ्रांस, अमेरिका, जापान, इटली, ईरान, यमन, कोलंबिया और अफ्रीका से।

फारसी में लिखी रामायण का हिंदी अनुवाद
फारसी में लिखी रामायण का अब हिन्दी में अनुवाद हो चुका है। सुंदर नक्काशी के साथ इस सचित्र हिंदी रामायण का विमोचन 2011 में हुआ। रामायण का फारसी से हिन्दी अनुवाद पूर्व विशेष कार्याधिकारी स्वर्गीय डा0 वकारूल हसन सिद्दीकी और पूर्व विशेष कार्याधिकारी प्रोफेसर शाह अब्दुस्सलाम ने किया था। यह रामायण वाल्मीकि द्वारा संस्कृत में रचित थी। इससे पहले इसका अनुवाद सुमेर चन्द्र ने फारसी जुबान में किया था। इसमें खास बात यह है कि रामायण का आगाज बिस्मिल्लाह हिर रहमान निर रहीमसे किया गया है।

भोजपत्र पर लिखी रामायण, मौला अली के हाथ का लिखा कुरान हैं बेशकीमती
रजा लाइब्रेरी के खजाने में भोजपत्र पर तेलगू व मलयालम में लिखी रामायण और सातवीं सदी में ऊंटकी खाल पर हजरत अली के हाथ से लिखा कुरान शरीफ बेशकीमती हैं। यहां आने वालों के लिए मुख्य आकर्षण हैं। इसके अलावा आठवीं सदी में जाफरो सादिक अलैहिस्सलाम के हाथ से लिखा कुरान मजीद, नवीं सदी में इमाम रजा के हाथ से लिखा कुरान और दसवीं सदी में इब्ने मुकला के हाथ से लिखा कुरान भी दर्शनीय है।

लाइब्रेरी पर हुआ डाक टिकट जारी
रामपुर। 19 जून 2011 को इस लाइब्रेरीकी ख्याति को डाक टिकट जारी होने पर एक और बुलन्दी मिली। भारत सरकार संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय डाक विभाग द्वारा रजा लाइब्रेरी स्मारक डाक टिकट का विमोचन 19 जून 2009 को महामहिम टी0वी0 राजेश्वर राज्यपाल उ0प्र0 ने राजभवन लखनऊ में किया था। इस मौके पर पूर्व विशेष कार्यधिकारी प्रो0 शाह अब्दुस्सलामऔर चीफ पोस्ट मास्टर जनरल उ0प्र0 नीलम श्रीवास्तव मौजूद थे।

पाण्डुलिपियों का संरक्षणदीमक या बारिश से भीगकर खराब हो चुकी किताबों को दुरुस्त करने के लिए रसायनों का प्रयोग करने का रास्ता अख्तियार किया गया है।

रजा लाइब्रेरीकी व्यवस्था देखता है बोर्ड
रजा लाइब्रेरी की तमाम व्यवस्था पर लाइब्रेरी बोर्ड की नजर रहती है। कोई भी कार्य करने से पहले बोर्डकी मंजूरी जरूरी होती है। लाइब्रेरी की तमाम व्यवस्था बोर्ड की निगरानी में रहती है। वर्तमान में बोर्ड के चेयरमैन राज्यपाल राम नाईक,राज्यपाल उत्तर प्रदेश  हैं। जबकि, बोर्ड में आठ नामित सदस्य हैं।

यह है खास-
-इंडो-यूरोप वास्तुकला का अदभुत नमूना है रजा लाइब्रेरी।
-फ्रांसीसी इंजीनियर मिस्टर डब्ल्यू0सी0राइट ने बनाया था इस इमारत का नक्शा।
-प्रत्येक माह अमेरिका, लंदन, सऊदी अरब,जापान, इटली, ईरान,यमन, कोलंबिया, अफ्रीका आदि मुल्कों से आते पन्द्रह से बीस शोधार्थी।
-मध्यकालीन पेंटिग का इतिहास जानने की रहती है ललक।

रामपुर की शराब से सजते हैं विदेशी मयखाने

विपिन कुमार शर्मा, रामपुर। भारत की बात छोड़िए, लंदन हो या हॉंगकांग, स्विटजरलैंड हो या अमेरिका..., यूरोप से लेकर गल्फ कंट्रीज तक रामपुर की शराब का सुरूर मयकशों के सिर चढ़कर बोलता है। विदेशी मयखाने रामपुर की शराब से सजाए जाते हैं। जिनकी बदौलत ढाई हजार करोड़ रुपये सालाना कंपनी का टर्नओवर है।
रेडिको खेतान की यूनिट रामपुर डिस्टलरी देश-विदेश में रामपुर का नाम रोशन कर रही है। कंपनी करीब पांच हजार लोगों को रोजगार मुहैया करा रही है। इसमें कमोवेश हर साल ही कुछ न कुछ आधुनिकीकरण पर काम होता रहता है। नतीजा यह है कि रामपुर और देश के दूसरे शहरों में डिस्टलरी के तीस बाटलिंग यूनिट हैं। देशी-विदेशी शराब के चालीस ब्रांड यहां तैयार किए जाते हैं। जो यूरोप, अफ्रीकन और गल्फ कंट्रीज के चालीस देशों में एक्सपोर्ट किए जाते हैं। कंपनी के कुछ ब्रांडों को क्वालिटी मेंटेंन करने में गोल्ड मैडल तक मिल चुका है। बीते दो सालों में कंपनी का टर्न ओवर में उछाल आया है। जिससे फिलवक्त में एक हजार करोड़ का राजस्व रेडिको द्वारा जमा किया जाता है। कंपनी की प्लानिंग है कि इस बार भी प्राफिट के अनुसार क्वालिटी मेंटेन और क्वांटिनी बढ़ाने में बड़ा निवेश किया जाएगा।


ये है रामपुर डिस्टलरी का इतिहास
वर्ष 1943 में जब रामपुर में नवाबी रियासत थी। तब रामपुर स्टेट में उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ब्रिटिश कंपनी ने डिस्टलरी की स्थापना की थी। देश आजाद हुआ, रामपुर स्टेट का स्वतंत्र भारत में विलय हुआ। तब ब्रिटिश कंपनी ने इसे डालमिया ग्रुप को सेल कर दिया। उस वक्त सीमित संसाधन, उपकरणों का अभाव या मार्केट में बेहतर तालमेल का अभाव, वजह जो भी रही, डालमिया ग्रुप ने वर्ष 1975 में रेडिको खेतान ग्रुप को रामपुर डिस्टलरी बेच दी। तब से रेडिको के नाम से डिस्टलरी देशी और विदेशी शराब बना रही है। एल्कोहल के एक के एक बेहतरीन उत्पाद देश-विदेश में बेचे जा रहे हैं।

मैजिक मोमेंट मार्फिस को मिला गोल्ड मैडल
रामपुर डिस्टलरी में तैयार की गई मैजिक मोमेंट मार्फिस को क्वालिटी सेटिस्फकेशन पर गोल्ड मैडल मिल चुका है। यही अवार्ड दूसरे प्राडक्ट कांटेसा रम को भी मिल चुका है। कंटेसा की सप्लाई मिलिट्री के लिए भी की जाती है। कंपनी का मोटो क्वालिटी बेस प्राडक्टस मार्केट में लाना है। इस पर रिसर्च भी होती रहती है।


चालीस देशों तक फैला कारोबार
रेडिको खेतान यानी रामपुर डिस्टलरी का कारोबार विदेशों तक फैला हुआ है। एशिया, यूरोप, अफ्रकन और गल्फ कंट्रीज में यहां के प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट किए जाते हैं। रेडिको खेतान के डायरेक्टर आपरेशन केपी सिंह बताते हैं कि दुुनिया के चालीस देशों में यहां के ब्रांड एक्सपोर्ट किए जाते हैं।
पांच हजार करोड़ का टर्नओवर
रामपुर डिस्टलरी का टर्नओवर ढाई हजार करोड़ रुपयों का है। केपी सिंह बताते हैं कि कंपनी के देशी और विदेशी शराब के चालीस ब्रांड हैं। जिन्हें अपने देश के अलावा दूसरे देशों में भी बेचा जाता है। इससे सभी तरह का एक हजार करोड़ रुपये कर के रूप में राजस्व को जाता है। जबकि, कंपनी का वार्षिक टर्नओवर पांच हजार करोड़ रुपये है।


देशी शराब के ब्रांड
मस्तीह
विंडीज
झूम प्ले
मिस जलवा

विदेशी शराब के प्रमुख ब्रांड
मैजिक मोमेंट वोदका
वोदक इन ऑरेंज फ्लेवर
वोदका इन एपिल फ्लेवर
वोदका इन लैमन फ्लेवर
वोदका इन चोको
वोदका रसभरी
वोदका लैमन ग्रास जिंजर
8पीएम ह्विस्की
आफ्टर डार्क ह्विस्की
कांटेसा रम
मार्फिस बरांडी
रायल व्हाइट हॉल
क्राउन ह्विस्की


भारतीयों को मस्ती तो विदेशियों को लुभाती है वोदकाबेशक रामपुर डिस्टलरी के देशी और विदेशी करीब चालीस ब्रांड हैं। लेकिन, कुछ ब्रांड ही ऐसे हैं जिनकी मार्केट में अच्छी पकड़ है। कंपनी लोकल स्तर पर मस्ती की सप्लाई करती है। यहां देशी शराब पीने वालों को मस्ती का सुरूर चढ़ता है। लेकिन, विदेशों में वोदका की डिमांड ज्यादा है। यही वजह है कि विदेशियों की पसंद को ध्यान में रखते हुए वोदका को छह अलग-अलग फ्लेवर में तैयार किया जाता है।

एक नजर में
1943 में ब्रिटिश कंपनी द्वारा स्थापित
आजादी के बाद डालमिया ग्रुप को सेल
1975 में रेडिको खेतान ने खरीदा
रामपुर और देश के दूसरे शहरों में 30 बाटलिंग यूनिट
क्वालिटी बेस एल्कोहल एक्सपोर्टर
देशी-विदेशी शराब के चालीस ब्रांड निर्माता
यूरोप, अफ्रीकन, गल्फ कंट्रीज समेत 40 देशों में एक्सपोर्ट
करीब पांच हजार लोगों को रोजगार
पांच हजार करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर
एक हजार करोड़ रुपये राजस्व को लाभ

Sunday, 26 February 2017

रामपुर हाउंड: इसमें है चीते जैसी फुर्ती


रामपुर हाउंड, एक ऐसा नाम जिसने छोटे से जनपद रामपुर को विश्व पटल पर लाने में अहम भूमिका निभाई है। चीते जैसी फुर्ती वाला यह स्पेशल डॉग शिकार के शौकीनों की पहली पसंद बना हुआ है। डॉग रेस हो या फिर हंटिंग दोनों में अपना लोहा मनवा चुका रामपुर हाउंड की स्थिति यह है कि हजारों से शुरू हुई इसकी कीमत अब लाखों तक पहुंच चुकी है। बकायदा लंदन से यह ब्रीड पेटेंट है। ब्रिटिश हुकूमत में रामपुरी हाउंड सम्मान पा चुका है।

ऐसे तैयार हुई नस्ल
रामपुर हाउंड की यह संकर प्रजाति कई उच्च प्रजातियों के मिश्रण का परिणाम है। बंटी केनन (केसीआई रजिस्टर्ड) बताते हैं कि इसमें तजाकिस्तान, अफगानिस्तान, इंग्लैंड एवं देशी नस्ल कुत्ता की नस्ल मिश्रित है। इसे इसका लुक इसकी ताजी एवं अफगान नस्ल से मिला है। जबकि, रफ्तार इसे इसकी अंग्रेजी ग्रे-हाउंड से मिली है। अपने शिकार का पीछा करने में इसका कोई जवाब नहीं। जंगली सुअर जैसे खूंखार जानवरों का शिकार करने में इसका कोई मुकाबला नहीं कर सकता। गंभीर रूप से घायल हो जाने पर भी यह उसे नहीं छोड़ता। दरअसल रामपुर हाउंड को सुबह के शिकार के उद्देश्य से ब्रीड किया गया। यह चीते जैसी फुर्ती से अपने शिकार को गर्दन से पकड़ता है और उसे धराशायी कर देता है। हार्स रेस की तरह डॉग रेस भी होती है। शिकार के लिए भी इस्तेमाल होता है। लिहाजा, चीते की तरह तेजी से दौड़ सके और आसानी से अपने शिकार को दबोच सके। ऐसी दोनो खूबियों में माहिर है रामपुर हाउंड। यही वजह है कि न सिर्फ भारत बल्कि, पड़ोसी मुल्कों में भी रामपुर हाउंड की खासी डिमांड है। यहां यह ब्रीड तैयार तो होती है, डॉग ऊंची कीमत में बेचे भी जाते हैं।


ये है रामपुर हाउंड का इतिहास
रामपुर स्टेट के चौथे नवाब अहमद अली खान बहादुर ने एक ऐसी प्रजाति के विषय में विचार किया जो उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप हो। चूंकि, रामपुर उस समय चारो ओर से घने जंगलों से घिरा हुआ था। जिनमें तमाम तरह के खूंखार जंगली जानवरों का वास था, शिकार के उद्देश्य से ऐसी सहयोगी की दरकार थी जो किसीभी प्रकार के जंगली जानवरों से डटकर मुकाबला कर सके और उसे धराशायी करने में पूरी तरह सक्षम हो। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए 1794-1840 के मध्य ग्रे हाउंड से अफगान हाउंड और फिर ताजी हाउंड का क्रास कराने के बाद रामपुर हाउंड ईजाद हुआ। 1923 में साइरस नाम के रामपुर हाउंड ने शिकार में झंडे गाड़े। भारत में कुत्तों की दो ही स्पेशल ब्रीड तैयार की गईं जिसमें दक्षिण भारत की राज पलायन और रामपुर की रामपुर हाउंड शामिल है।


क्या है केसीआई
केनल क्लब आफ इंडिया को शार्ट फार्म में केसीआई कहते हैं। डॉग रेस या डॉग से जुड़े अन्य कंपटीशन में शामिल होने के लिए केसीआई से रजिस्ट्रेशन कराया जाता है। यहां से कुत्ते का बाकायदा नाम और सर्टीफिकेट जारी होते हैं। मूलत: ये लंदन की कंपनी का क्लब है, जिसका इंडिया में आफिस चेन्नई में है।


ये हैं केसीआई रजिस्टर्ड
-बंटी केनल
-आमिर केनल
 
 
यहां है रामपुर हाउंड की डिमांड
भारत में लखनऊ, बनारस, दक्षिण भारत के अलावा विदेश में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सऊदी अरब आदि में खासी डिमांड है। यहां लोग गिफ्ट में भी रामपुर हाउंड दे देते हैं। भारत में 20-25 हजार रुपये से लेकर डेढ़-दो लाख रुपये तक रामपुर हाउंड की कीमत है।
 
 
अंग्रेजों ने सम्मानित किया था रामपुर हाउंड
सन 1857 के गदर से पूर्व अंग्रेजी शासन काल में कलकत्ता में हुई प्रदर्शनी में रामपुर स्टेट की बेमिसाल वस्तुओं के साथ ही रामपुर हाउंड को भी शामिल किया गया था। तब वहां अंग्रेजों ने रेस कराई थी, जिसमें रामपुर हाउंड विजेता रहा था। इस पर सम्मानित किया गया था।
 
 
क्या है खूबी
-लंबाई करीब डेढ़ फुट से लेकर सवा दो फुट तक होती है।
-लंबी टांगे और सीना पतला होता है।
-कान पीछे की ओर मुड़े होते हैं।
-इसके पंजों की पकड़ मजबूत होती है और नाखून शिकार के लिए खूंखार होते हैं।
-23 से 28 इंच तक ऊंचा होता है।
-इसका भार करीब 38-40 किलोग्राम तक होता है।
-इसकी मादा सवा फुट से लेकर दो फुट तक हो सकती है।
-मादा का भार 35-38 किलोग्राम तक होता है।
-चीते की तरह तेज दौड़ता है।
-शिकार को पकड़ने में माहिर है।
-इसकी रफ्तार करीब 70 किलोमीटर प्रति घंटा तक होती है।

Monday, 20 February 2017

अब आकाशवाणी से भी हो जाएगी ‘ग्रामोफोन की छुट्टी’


रामपुर। वो रिकार्डिंग टेप, टर्न टेबिल मशीन पर चढ़ा फीता और घरों में गूंजती ग्रामोफोन की आवाज। तेजी से बदलते दौर में ऐसी दबी कि अब आकाशवाणी से भी ग्रामोफोन की ‘छुट्टी’ हो जाएगी। जी हां, जल्द ही न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि, उत्तराखंड के भी सभी आकाशवाणी केंद्र हाईटेक होंगे। यूपी की राजधानी लखनऊ और रामपुर के आकाशवाणी केंद्रों का चयन प्रथम चरण के लिए किया गया है। जहां लाइब्रेरी के डिजिटलाइजेशन का काम जोरो पर चल रहा है।
देश ही नहीं दुनिया भर में संचार के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हो रहे हैं। ऐसे में आकाशवाणी कैसे पीछे रह सकता है। वह भी अत्याधुनिकता का चोला पहनने के लिए बेताब है। दिल्ली, जालंधर जैसे बड़े सेंटर भले ही पहले ही हाईटेक कर दिए गए हों। लेकिन, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में आज भी रिकार्डिंग उतनी हाईटेक नहीं हो पाई है। इन केंद्रों पर टर्न टेबिल मशीन, टेप डेस्क, ग्रामोफोन से काम चलाया जा रहा है। लेकिन, जल्द ही ये आउट डेटेड हो चुके टेप और अन्य उपकरण आकाशवाणी से अलविदा कर दिए जाएंगे।
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ग्रामोफोन के बजाय अब डीएसएस बिखेरेगा जलवा
ग्रामोफोन के बजाय अब आकाशवाणी में डीएसीएस, यानी डिजिटल साउंड सिस्टम अपना जलवा बिखेरेगा। आकाशवाणी मुख्यालय के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश में लखनऊ और रामपुर के आकाशवाणी के केंद्रों का डिजिटलाइजेशन किया जा रहा है। पुराने टेप आदि को कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क में सेव कर उनसे सीडी तैयार की जा रही हैं। इन दोनों केंद्रों के बाद उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के अन्य केंद्रों की टेप लाइब्रेरी का डिजिटलाइजेशन कराया जाएगा।
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ये केंद्र होंगे हाईटेक
रामपुर, नजीमाबाद, बरेली, लखनऊ, इलाहबाद, गोरखपुर, आगरा, ओबरा, झांसी, कानपुर, मथुरा, वाराणसी, फैजाबाद, अल्मोड़ा, पौड़ी
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बदलते दौर में सबकुछ तेजी से बदल रहा है। ऐसे में ग्रामोफोन व टेप गुजरे जमाने की बात हो चली है। अब युग हाईटेक हो रहा है। ऐसे में न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि, उत्तराखंड के सभी पंद्रह केंद्रों को हाईटेक करने का मुख्यालय से आदेश आया था, जिसे फारवर्ड करते हुए काम शुरू करा दिया गया है।
-गुलाब  सिंह, अपर महानिदेशक, आकाशवाणी मध्य क्षेत्र
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पहले चरण में रामपुर और लखनऊ के आकाशवाणी केंद्र को हाईटेक करने का आदेश मिला था। जिस पर हम लोगों ने काम शुरू कर दिया। ग्रामोफोन, पुराने टेप आदि सब हटाए जा रहे हैं। लाइब्रेरी व अन्य सिस्टम हाईटेक किया जा रहा है। करीब पचास फीसदी काम रामपुर आकाशवाणी पूरा कर चुका है।
-मंदीप कौर, कार्यक्रम प्रमुख, आकाशवाणी रामपुर

डीएम के खिलाफ सभी दल लामबंद, आयोग से मिले

 



किसी ने बताया सपा का एजेंट तो किसी ने जताई इनके रामपुर में रहने पर धांधली की आशंका

रामपुर। आईएएस अफसर अमित किशोर पहली ही पोस्टिंग में सभी राजनैतिक दलों का टारगेट बन गए हैं। डीएम के खिलाफ सभी दल लामबंद हो गए हैं। सोमवार को रामपुर के कई नेताओं ने मुख्य चुनाव आयुक्त से दिल्ली में मुलाकात की और डीएम पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें हटवाने की मांग की।
दरअसल, अमित किशोर रामपुर में बतौर मुख्य विकास अधिकारी आए थे। शासन ने उन्हें डीएम के पद पर पहली तैनाती भी रामपुर ही दे दी। अब जब चुनाव आए तो आयोग में शिकवा-शिकायत शुरू हो गईं। चुनाव से पहले डीएम को रामपुर से हटवाने के लिए न सिर्फ रामपुर बल्कि, प्रदेश मुख्यालय तक से नेताओं ने ताकत झोंक दी। लेकिन, डीएम को नहीं हटवा पाए। अब जब चुनाव सकुशल संपन्न हो गया। आगामी 11 मार्च को मतगणना होगी तो सभी दल डीएम के खिलाफ लामबंद हो गए हैं।
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भाजपा
सोमवार को शहर विस सीट से भाजपा प्रत्याशी एवं पूर्व मंत्री शिव बहादुर सक्सेना के बेटे आकाश कुमार सक्सेना ने पूर्वाह्न 11 बजे सीईसी डा. नसीम जैदी से मिले और कहा कि आईएएस अफसर अमित किशोर बतौर सीडीओ रामपुर आए थे। आजम खां ने उन्हें यहां का डीएम बनवाया। तभी से उनकी आजम खां में आस्था बढ़ गई है। ऐसे में निष्पक्ष मतगणना नहीं हो सकती। चुनाव और मतगणना की निष्पक्षता के लिए डीएम रामपुर को यहां से हटवाया जाए।
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कांग्रेस
कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष फैसल खां लाला ने पूर्वाह्न 11:30 बजे मुख्य चुनाव आयुक्त से से मुलाकात की। ज्ञापन सौंपा, जिसमें कहा है कि पूर्व में भी वह डीएम रामपुर की शिकायत कर चुके हैं लेकिन, कार्रवाई नहीं हुई। जिससे डीएम अब उनसे रंजिश रखने लगते हैं। चुनाव वाले दिन मतदान से उन्हें रोका गया और थाने में बंद करवा दिया गया। इनके रामपुर में रहते निष्पक्ष मतगणना नहीं हो सकेगी।
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बसपा
बसपा प्रत्याशी डा. तनवीर अहमद पहले भी आयोग में शिकायत कर चुके हैं। सोमवार को दोपहर 12 बजे वह मुख्य चुनाव आयुक्त से मिले और ज्ञापन सौंपा। जिसमें मतगणना के दौरान गड़बड़ी की आशंका जताई और आरोप लगाया कि डीएम को यहां से हटाया जाए और मगतणना के लिए स्पेशल आब्जर्वर नियुक्त कर दिया जाए। आरोप लगाया कि डीएम कैबिनेट मंत्री आजम खां के बेहद करीबी हैं, इनका हटवा बहुत जरूरी है।
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सपा
समाजवादी पार्टी ने डीएम-एसपी को बसपा का एजेंट करार दे दिया है। कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खां चुनाव आयोग में पहले ही शिकायत कर चुके हैं। उन्हें यहां से हटवाने की मांग कर चुके हैं। चार दिन पहले  सपाई जिलाध्यक्ष अखलेश कुमार के नेतृत्व में मंडलायुक्त से मिले थे और यहां तक आरोप लगाया कि डीएम को हटवा दो, वर्ना ये आजम खां और अब्दुल्ला को चुनाव हरवा देंगे।
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-शिकायत करने के लिए कोई भी स्वतंत्र है। कोई भी आयोग में जा सकता है, वहां शिकायत कर सकता है। रही बात आरोपों की तो आरोप निराधार हैं। आयोग के दिशा-निर्देश और आदेशों का अक्षरशा: पालन किया जा रहा है। किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं बरता जा रहा है। जिला प्रशासन निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराने के लिए प्रतिबद्ध है और करा रहा है।
-अमित किशोर, डीएम रामपुर

Saturday, 18 February 2017

सावधान! घर में रखे हैं ‘मौत के सामान’, बच्चों का रखें ध्यान

रामपुर। बेशक, टीबी, फ्रिज, कूलर, वाशिंग मशीन आज की जरूरत बन चुकी हैं। लेकिन, इनसे खतरा भी बहुत है। जरा सा केबिल शार्ट हुआ और फिर कुछ भी संभव है। ‘मौत के सामान’ बन चुके इन उपकरणों से बच्चों को दूर ही रखें तो बेहतर है। वर्ना.....जरा सी लापरवाही, जिंदगी भर के लिए गम दे सकती है। शाहबाद में रविवार को जो कुछ हुआ, सबक लेने के लिए काफी है।
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क्या करें क्या न करें
-ध्यान रखें कि बच्चा बिजली का बोर्ड न छुए।
-बिजली के सर्किट खुले हुए न रखें।
-बच्चा उपकरणों को ऑन-आफ न करे।
-बोर्ड से बच्चा टीबी, फ्रिज, डीवीडी या अन्य उपकरणों की केबिल न लगाए और न ही निकाले।
-बिजली केबिल के प्लग भी बच्चों को न छूने दें।
-प्रेस से भी बच्चों को दूर रखें।
-मासूमों का स्वयं ख्याल रखें।
-बड़े बच्चों को भी जागरूक करते रहें।
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-वैसे तो कोई भी बिजली का उपकरण बनाते समय यह ध्यान रखा जाता है कि उसमें करेंट न फैले। बायर और बोर्ड में ही करेंट रहे। बाडी पर करेंट न उतरे। लेकिन, कई बार बायर शॉर्ट होने से या फिर उपकरण फुंकने से करेंट आ जाता है। ऐसे में अर्थ मिल जाए तो कुछ भी संभव है।
-सतीश कुमार शर्मा, इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर
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-फ्रिज, टीबी या अन्य जो भी बिजली के उपकरण हैं। आज की जरूरत हैं। हम उनसे दूर नहीं रह सकते और उनके बिना जीवन भी अधूरा है। लेकिन, यह हकीकत है कि जो वस्तु जितनी सुविधा जनक होती है, नुकसानदेय भी हो सकती है। लिहाजा, जागरूक रहें और बच्चों को प्लग लगाते वक्त ध्यान दें। सावधानी से काम करें।
-डा. इंदुभूषण महापात्र, समाजशास्त्री
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-करेंट लगने की स्थिति में फौरन स्विच आफ करें। ध्यान रखें कि बिजली उपकरणों के आसपास पानी न हो। पीड़ित को तत्काल कंबल में लपेट लें। पल्स चेक करें। पल्स कम हो तो उसे छाती पर कार्डिक मसाज दें। मुंह से गर्म भाप दें। छाती पंप करें और डाक्टर के पास ले जाएं।
-डा. विशेष कुमार, एमडी

 

नए साल के जश्न के बीच बरपाया आतंकियों ने कहर


31 दिसंबर 2007 की रात, पूरी दुनिया जिस वक्त नए साल की अगवानी के जश्न में डूबी हुई थी, रामपुर सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर आतंकी कहर बरपा रहे थे। एके-47, एके-56 और हैंडग्रेनेट से निकली बारूद सीआरपीएफ के जवानों के जिस्म को जला रही थी। हमले में सात जवान समेत आठ लोग मारे गए थे। जिसकी सुनवाई आज भी कोर्ट में चल रही है।
रामपुर में सीआरपीएफ का ग्रुप सेंटर है। जहां से जम्मू, छत्तीसगढ़, लखनऊ, दिल्ली और उड़ीसा में जवान भेजे जाते हैं। इसके अलावा शांति और सुरक्षा व्यवस्था के लिए कहीं भी उन्हें तैनाती दी जाती है। इन जवानों को राशन से लेकर गोला-बारूद तक सब रामपुर सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर से ही सप्लाई होता है। जिस पर वर्ष 2007 की आखिरी रात ऐसी कालिख पोत गई, जिसे ग्रुप सेंटर कभी नहीं भुला सकता। रात को करीब 2:15 बजे ग्रुप सेंटर पर आतंकियों ने हमला किया। गेट संख्या एक से एक के बाद एक जवानों को गोलियों से भूनते हुए आतंकी ग्रुप सेंटर के अंदर तक दाखिल हो गए थे। हमले में सात जवान और एक रिक्शा पोलर मारा गया था। करीब चार घंटे की मुठभेड़ के बाद भी आतंकी फरार होने में कामयाब रहे। हालांकि, बाद में एटीएस और यूपी पुलिस के संयुक्त अभियान में इन्हें रामपुर, लखनऊ से गिरफ्तार किया गया, जो बरेली सेंट्रल जेल और लखनऊ जेल में आज भी बंद हैं, रामपुर कोर्ट में इस केस पर आजकल सुनवाई चल रही है।
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सिर्फ दहशत फैलाना नहीं था मकसद
आतंकियों ने जिस तरह से हमला किया था, उससे साफ जाहिर होता है कि उनका मकसद सिर्फ दहशत फैलाना नहीं था। मकसद यही होता तो वे रोडवेज, रेलवे स्टेशन, आकाशवाणी केंद्र या फिर विदेशी स्कालर्स के मुख्य स्थान रजा लाइब्रेरी को लक्ष्य बनाते। लेकिन, उन्होंने ऐसा नहंी किया क्योंकि, उनका टारगेट दशहत के साथ-साथ सीमा पर भारतीय ताकत को भी कमजोर करने का रहा होगा।
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इसलिए चुना सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर
सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर को टारगेट बनाने के पीछे आतंकियों का उद्देश्य यही रहा होगा कि यहां हमला करने से देशभर में दहशत तो फैलेगी, साथ ही ग्रुप सेंटर बर्बाद होगा तो सीमा पर लगे सीआरपीएफ जवानों को राशन और बारूद नहीं मिल सकेगा। वे कमजोर हो जाएंगे और नए जवान भी ग्रुप सेंटर वहां नहीं भेज सकेगा, इससे सीमा पर आतंकी गतिविधियों को और तेज किया जा सकेगा।
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गनीमत रही आयुध सेंटर तक नहीं पहुंचे
आतंकियों ने ग्रुप सेंटर में उत्तर दिशा स्थित गेट संख्या एक से हमला किया और दक्षिण में स्थित गेट संख्या दो की ओर बढ़ते गए। गेट संख्या-2 से सटा हुआ सीआरपीएफ का आयुध भंडार है, जहां से गोला-बारूद, अत्याधुनिक हथियार सप्लाई किए जाते हंै, आतंकी हमला करते हुए इसी भंडार की ओर जा रहे थे, लेकिन, डीआईजी ग्रुप सेंटर के कक्ष के पास ही उनकी इस तरह जवानों ने घेराबंदी कर मुठभेड़ की कि आतंकियो को वापस होना पड़ा।
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आईबी ने पहले ही कर दिया था अलर्ट
सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर हुए आतंकी हमले के बारे में बीस दिन पहले ही आईबी ने गृह मंत्रालय को अलर्ट कर दिया था। इंटरसेप्ट पर मैसेज सुना गया था कि सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर फिदाइन हमला हो सकता है। यहां तक मैसेज था कि टारगेट नए साल पर पूरा किया जाएगा। उस वक्त स्थानीय समाचार पत्रों में यह खबर प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी। एक दिन पहले ही यह खबर भी छपी थी कि आज हो सकता है सीआरपीएफ पर हमला, और हमला हो गया।
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समय रहते नहीं चेते अफसर
आईबी के अलर्ट को गृह मंत्रालय ने हल्के में लिया। नतीजतन, अफसर नहीं चेते और उनकी लापरवाही सात जवानों की जिंदगी पर भारी पड़ गई। हमले के बाद रामपुर पहुंचे तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जयसवाल से जब मीडिया ने सवाल-जवाब किए कि पहले से इंटरसेप्ट पर मैसेज सुने जाने के बाद भी कोताही क्यों बरती गई, इस सवाल का वह जवाब नहीं दे सके थे।
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लखनऊ और बरेली जेल में हैं आरोपी
सीआरपीएफ कांड में एटीएस ने चारबाग लखनऊ पाक नागरिक मोहम्मद फारूक और इमरान तथा मधुबनी बिहार के मूल निवासी एवं तत्कालीन निवासी पीओके सवाउद्दीन को गिरफ्तार किया था, जो इस वक्त लखनऊ में बंद हैं। जबकि, गोरे गांव मुम्बई के फहीम हम्माद अंसारी, खजुरिया रामपुर के शरीफ, कामरू मूंढापांडे, मुरादाबाद के जंगबहादुर, कुंडा प्रतापगढ़ के कौशर खां और बहेड़ी, बरेली के गुलाब खां को रामपुर समेत अलग-अलग स्थानों से गिरफ्तार किया था, जो इस वक्त बरेली सेंट्रल जेल में बंद हैं।
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अब तक 37 की हो चुकी है गवाही
इस केस में पहले हर 14वें दिन सुनवाई होती थी। इसके लिए कड़ी सुरक्षा में आरोपियों को पेशी पर लाया जाता था लेकिन, पिछले दिनों हाईकोर्ट ने इस केस की सुनवाई प्रतिदिन करने का आदेश दिया, जिस पर लगातार गवाही हो रही है। अब तक 37 अधिकारियों/कर्मचारियों की गवाही हो चुकी है। एडीजे-प्रथम, रामपुर की अदालत में केस की सुनवाई इस समय अंतिम चरण में पहुंच चुकी है।

आकाशवाणी रामपुर को सुनने वालों की संख्या 2.50 करोड़

रामपुर। संचार के क्षेत्र में आए क्रांतिकारी बदलाव ने एक बार फिर आल इंडिया रेडियो की तरंगों को उड़ान दे दी। रेडियो हाईटेक हुआ और फिर कायम कर लिया अपना बर्चस्व। अधिकारिक दावे पर भरोसा करें तो आकाशवाणी रामपुर के कार्यक्रम सुनने वालों की संख्या 2.50 करोड़ है।
तरह-तरह के टेलीविजन चैनलों के आने के बाद आकाशवाणी के आगे संकट आ गया था। लेकिन, बदलते दौर से कदमताल की, गुणवत्ता सुधारी और मोबाइल पर एफएम सेवाएं शुरू हुईं तो रेडियो का क्रेज फिर बढ़ने लगा। आकाशवाणी रामपुर की बात करें तो वर्तमान में रामपुर, मुरादाबाद, जेपीनगर, बरेली, बदायूं, पीलीभीत, ऊधम सिंह नगर में रुद्रपुर, नैनीताल और चम्पावत के मैदानी भाग में इसके श्रोता हैं, जिनकी संख्या ढाई करोड़ है। यह दावा आकाशवाणी रामपुर के अधिकारियों का है। गुरुवार को विश्व रेडियो दिवस पर यूएनओ ने महिलाआें के लिए रेडियो की भूमिका थीम जारी की है।
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कुछ इस तरह हुआ हाईटेक
-पहले आकाशवाणी में फीते पर रिकार्डिंग होती थी। पोस्टकार्ड के जरिए श्रोता अब अपनी फरमाईश करते थे। लेकिन, वक्त बदला तो रिकार्डिंग टेप की छुट्टी हो गई। कम्प्यूटर पर वायस आडियो साफ्टवेयर आ गए। डिजिटल रिकार्डिंग होने लगी। आवाज की गुणवत्ता भी सुधरी।
-शहर से लेकर गांव तक मोबाइल कम्युनिकेशन में क्रांतिकारी जुड़ाव आया तो आल इंडिया रेडियो ने फोन इन कार्यक्रम शुरू किए। फरमाईशी कार्यक्रम, डाक्टर से सलाह, किसान भाइयों के लिए वैज्ञानिकों की राय सरीखे कार्यक्रम फोनइन कर दिए गए।
-एसएमएस के जरिए भी फरमाईशी कार्यक्रम शुरू किए गए। मौजूदा हालत ये है कि हर दिन यदि 200 पोस्टकार्ड आते हैं तो करीब 250 एसएमएस भी आकाशवाी रामपुर की साइट पर डिस्पले होते हैं। जिन्हें भेजने वालों को उनकी पसंद के गीत सुनवाए जाते हैं।
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कब क्या हुआ
-प्रथम पंचवर्षीय योजना में रामपुर को मिला आकाशवाणी केंद्र।
-1960 में आकाशवाणी केंद्र बनाने का काम किया गया शुरू।
-25 जुलाई 1965 को स्थापित किया गया ट्रांसमीटर।
-18फरवरी 1975 में तैयार किया गया स्टूडियो।
-जून 1975 से प्रात: कालीन सभा की हुई शुरूआत।
-26 जनवरी 1979 को तीनों सभाआें में कार्यक्रम प्रसारण शुरू।
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फैक्ट फाइल
-891 किलो हट्र्ज पर मिलते हैं आकाशवाणी रामपुर के सिग्नल।
-2 किलोवाट की क्षमता है आकाशवाणी के ट्रांसमीटर की।
-2.50 करोड़ है आकाशवाणी रामपुर के श्रोताआें की संख्या।
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-वक्त बदला तो रेडियो का फिर पुराना दौर लौट आया है। अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर हर वर्ग को रेडियो ने खुद से जोड़ा। संस्कृति बचाने के लिए कार्यक्रम प्रसारित किए। विश्व रेडियो दिवस पर यूएनओ ने वूमेन के लिए रेडियो की भूमिका थीम दी है। जिस पर प्रोग्राम होंगे।
-मंदीप कौर, कार्यक्रम प्रमुख
 

Friday, 17 February 2017

'साइलेंस डेथ' बन रहा मोबाइल टॉवर रेडिएशन



रामपुरः मोबाइल टॉवर रेडिएशन साइलेंट डेथ के रूप में सामने आ रहा है। सरकार भले ही स्वास्थ्य पर रेडिएशन से पड़ने वाले प्रभावों को नकारती रहे पर, मोबाइल टॉवर रेडिएशन पर हो रहे सर्वों से लगातार इस बात की पुष्टि हो रही है कि यह स्वास्थ्य के लिए घातक हैं। मोबाइल टॉवर रेडिएशन अनिंद्रा से लेकर ब्रैन कैंसर तक की वजह बन रहा है। जबकि भारत के मुकाबले अन्य कई देशों में मोबाइल टॉवर रेडिएशन का लेवल एक हजार से दस हजार गुना तक कम है। साथ ही इन देशों में मोबाइल टॉवर रेडिएशन को लेकर सख्त कानून भी हैं। मोबाइल टॉवर रेडिएशन से जुड़े कुछ चौंकाने वाले तथ्यों को फोकस करते यह बिंदु :-

1 :- एनवायरमेंट वर्किंग ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार मोबाइल रेडिएशन एक्स-रे मशीन और न्यूकलर वैस्ट से होने वाले रेडिएशन के समान घातक है। मोबाइल रेडिएशन भी न्यूकलर वैस्ट और एक्स-रे मशीन की तरह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेज को एक साथ इलेक्ट्रिक व मैग्नेटिक वेब के रूप में उत्सर्जित करता है। इनका लेवल अधिक होने पर यह शरीर के लिए घातक हो सकती हैं।
2 :- एनवायरमेंट वर्किंग ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार मोबाइल रेडिएशन स्पर्म काउंट को भी प्रभावित करती हैं।
3 :- मोबाइल टॉवर रेडिएशन पर एनवायरमेंट वर्किंग ग्रुप की रिपोर्ट ने डब्लूएचओ के एक फैमिली की कंप्लेंट के आधार पर इस बात की पुष्टि की है कि मोबाइल रेडिएशन ग्लिओमा के लिए खतरा बढ़ा देती है। जिससे ब्रैन कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। जयपुर के एक परिवार ने इस संबंध में खुद को पीड़ित बताया है।
4 :-  सर्वे के मुताबिक मोबाइल टॉवर की पचास मीटर रेंज में होने वाले रेडिएशन का शरीर पर उतना ही प्रभाव पड़ता है जितना एक व्यक्ति को 19 मिनट के लिए माइक्रोवेब ओवन में रख दिया जाए।
5 :- 01 सितंबर को मोबाइल टॉवर रेडिएशन से जुड़ी नई गाइड लाइन में रेडिएशन लेवल दस गुना तक कम करने के निर्देश दिए गए हैं। जबकि अन्य देशों की तुलना में भारत में मोबाइल टॉवर रेडिएशन का लेवल एक हजार से दस हजार गुना तक अधिक है। जिससे इससे होने वाले नुकसान का अंदाजा लगाया जा सकता है।
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मोबाइल टॉवर से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी :
-टॉवर से निकलने वाले रेडिएशन का लेवल कम कर इससे होने वाले शारीरिक नुकसान से बचा जा सकता है।
-मोबाइल टॉवर जो कि लंबे एंटीने वाले होते वह घातक होते हैं। जबकि गोल डिश वाले टॉवर बहुत कम हानिकारक होते हैं।
-सरकार ने 2006 में स्कूल और अस्पतालों के निकट मोबाइल टॉवर न लगाने के निर्देश दिए थे।
-मोबाइल टॉवर के निकट बने घरों में सिग्नल मिलने के लिए आवश्यक स्तर से हजार से दस हजार गुना तक रेडिएशन का स्तर अधिक होता है।
-माइनस तीस डीबीएम स्तर तक का रेडिएशन सुरक्षित होता है। जो कि रेडिएशन नापने वाली मशीन पर ग्रीन लाइट के रूप में शो होता है।
-माइनस 30 से 15 डीबीएम स्तर खतरे की चेतावनी होती है।
-माइनस 15 डीबीएम या फिर इससे नीचे का स्तर मानव के लिए बेहद खतरनाक होता है। जो कि रेडिएशन मशीन पर रेड लाइट के रूप में शो होता है।
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इन बीमारियों की चपेट में आने की होती है आशंका :  सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक मोबाइल टॉवर रेडिएशन से व्यक्ति अनिंद्रा, सिर दर्द, चिढ़चिढ़ापन, माइग्रेन से लेकर ब्रैन कैंसर तक की चपेट में आ सकता है।
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चंद रुपयों के लालच में जिंदगी से खिलवाड़
रामपुर। चंद रुपयों के लालच में लोग जिंदगी से भी खिलवाड़ करने में नहीं चूक रहे हैं। आप किसी भी शहर, मोहल्ले और कस्बों में निकल जाएं। आपको घनी आबादी के बीच बने घरों के ऊपर मोबाइल टॉवर लगे हुए दिखाई दे जाएंगे। इन मोबाइल टॉवर को लगाने के लिए मोबाइल कंपनी से गृह स्वामी को कुछ हजार की रकम प्रतिमाह किराए के रूप में मिलती है। पर वह इस बात से अंजान हैं कि उनका चंद रुपयों का लालच उनके अमूल्य जीवन पर भारी पड़ रहा है। सिफ मोबाइल टॉवर लगवाने वाले घरों में रहने वाली जिंदगियां ही नहीं बल्कि उनके आसपास सैकड़ों मीटर की दूरी में रहने वाली जिंदगियां इसके रेडिएशन का शिकार होती हैं।

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मोबाइल टॉवर रेडिएशन के शिकंजे में परिवार
रामपुर। मोहम्मद हस्सान, होमेरा इरफान गनी, ए गनी, शगुफ्ता गनी, शहाब मलिक यह वो चंद नाम हैं जो मोबाइल टावर के रेडिएशन में फंसे जिले के हजारों लोगों के नामों में शामिल हैं। शहर के पक्का बाग निवासी मोहम्मद हस्सान का पूरा कुनबा मोबाइल टॉवर रेडिएशन की मार झेल रहा है। हायपरटेंशन, डिप्रेशन, माइग्रेन से लेकर ब्रेन कैंसर तक तमाम न्यूरोलॉजिकल डिजीज का कारण बनने वाले मोबाइल टावर रेडिएशन ने इस परिवार को भी बीमारियों के दलदल में धकेल दिया है।
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रेडिएशन से जंग में प्रधानमंत्री दफ्तर तक दस्तक
रामपुर। मोबाइल टॉवर रेडिएशन से होने वाले स्वास्थ्य नुकसान को लेकर शहर के एक जागरूक व्यक्ति ने बीएसएनएल अधिकारियों से लेकर प्रधानमंत्री दफ्तर तक दस्तक दी है। हर दर से उसे एक पत्र ही जवाब के रूप में आया। तमाम प्रयासों के बाद भी आज तक मोबाइल टॉवर रेडिएशन के शिकंजे से मुक्ति नहीं मिल पाई है।
बाजार नसरूल्ला खां निवासी शहाब मलिक इंडियन सोशियल सर्विस डेवलपमेंट फाउंडेशन के चेयरमैन हैं। अपने इसी संगठन के माध्यम से शहाब मलिक ने मोबाइल टॉवर रेडिएशन से होने वाली बीमारियों के खिलाफ प्रधानमंत्री कार्यालय तक जंग लड़ी है। शहाब मलिक ने  प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर घनी आबादी में लगाए गए मोबाइल टॉवर से लोगों के बीमार होने का हवाला देते हुए टॉवर हटाने की मांग की।

मंडी समिति में 32.87 करोड़ का घोटाला!



मामला पकड़ में आने पर मंडी सहायक निलंबित, मंडी समिति सचिव ने भेजी उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट


रामपुर।
कृषि उत्पादन मंडी समिति में करोड़ों के वारे न्यारे किए गए हैं। प्रथम दृष्या जो जांच की गई है उसमें 32.87 करोड़ का घपला सामने आया है। जिस पर मंडी समिति सचिव ने उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी है। वहीं, संबंधित सेक्टर प्रभारी एवं मंडी सहायक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
मंडी समिति में गेट पास जारी करने के नाम पर बड़ा खेल होता है। लकड़ी पर लगने वाले मंडी शुल्क और विकास सेस के नाम पर करोड़ों रुपयों की घपलेबाजी की गई है। जिसमें मंडी से जुड़े कई अधिकारियों-कर्मचारियों की गर्दन फंसना तय माना जा रहा है। मंडी समिति सचिव ने वर्ष 2012-13 से दिसंबर 2016 तक के इनपुट प्रपत्रों की जांच की जिसमें कृषि उत्पाद लकड़ी के जारी गेटपासों की संख्या और उस पर देय मंडी शुल्क एवं विकास सेस तथा जो धनराशि इस मद में जमा हुई है, उसमें 32 करोड़, 87 लाख, 4 हजार 104 रुपये का अंतर पाया गया है। जिस पर मंडी समिति सचिव ने रिपोर्ट भेजी है।
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मंडी समिति सचिव की जांच में यह हुआ खुलासा


वर्ष 2012-13
31586-लकड़ी के कुल जारी हुए गेटपासों की संख्या।
6317200-गेटपासों के अनुसार औसत आवक।
368 रुपये-लकड़ी की दर प्रति कुंतल इनपुट के अनुसार।
58118240 रुपये-कुल देय मंडी शुल्क एवं विकास सेस।
11842217 रुपये-जमा मंडी शुल्क एवं विकास सेस।
46276023 रुपये की हेराफेरी सामने आई।
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वर्ष 2013-14
37859-लकड़ी के कुल जारी हुए गेटपासों की संख्या।
7571800-गेटपासों के अनुसार औसत आवक।
375 रुपये-लकड़ी की दर प्रति कुंतल इनपुट के अनुसार।
70985625 रुपये-कुल देय मंडी शुल्क एवं विकास सेस।
13128917 रुपये-जमा मंडी शुल्क एवं विकास सेस।
57856708 रुपये की हेराफेरी सामने आई।
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वर्ष 2014-15
41897-लकड़ी के कुल जारी हुए गेटपासों की संख्या।
8379400-गेटपासों के अनुसार औसत आवक।
370 रुपये-लकड़ी की दर प्रति कुंतल इनपुट के अनुसार।
77509450 रुपये-कुल देय मंडी शुल्क एवं विकास सेस।
16887691 रुपये-जमा मंडी शुल्क एवं विकास सेस।
60621759 रुपये की हेराफेरी सामने आई।
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वर्ष 2015-16
60405-लकड़ी के कुल जारी हुए गेटपासों की संख्या।
12081000-गेटपासों के अनुसार औसत आवक।
340 रुपये-लकड़ी की दर प्रति कुंतल इनपुट के अनुसार।
102688500 रुपये-कुल देय मंडी शुल्क एवं विकास सेस।
18860116 रुपये-जमा मंडी शुल्क एवं विकास सेस।
83828384 रुपये की हेराफेरी सामने आई।
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वर्ष 2016 दिसंबर तक 
50187-लकड़ी के कुल जारी हुए गेटपासों की संख्या।
10037400-गेटपासों के अनुसार औसत आवक।
385 रुपये-लकड़ी की दर प्रति कुंतल इनपुट के अनुसार।
96609975 रुपये-कुल देय मंडी शुल्क एवं विकास सेस।
16488745 रुपये-जमा मंडी शुल्क एवं विकास सेस।
80121230 रुपये की हेराफेरी सामने आई।
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मंडी सहायक  ने पेश नहीं किए साक्ष्य
मंडी समिति सचिव ने मंडी सहायक को लकड़ी से संबंधित अभिलेख जांच के लिए प्रस्तुत करने के कई बार मौखिक एवं लिखित आदेश दिए लेकिन, सहायक ने कोई अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया। वहीं, निरीक्षण के दौरान भी गायब रहा। जिस पर वह इस करोड़ों के घपले में शक के दायरे में है।
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टीम गठित कर कार्रवाई की संस्तुति
मंडी समिति सचिव ने पूरी जांच-पड़ताल के लिए सम्भागीय कार्यालय अथवा मंडी परिषद मुख्यालय से कम से कम चार सदस्यीय जिनमें दो विपणन और दो लेखा विशेषज्ञों की टीम गठित कर बीते पांच सालों का विशेष आडिट कराकर कार्रवाई की संस्तुति की है।
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-संबंधित सेक्टर प्रभारी मंडी सहायक अवनीश काम्बोज को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है और उनके विरुद्ध थाने में एफआईआर दर्ज कराने की कार्रवाई की जा रही है।
-गजेंद्र कुमार त्यागी, मंडी सचिव