रामपुर हाउंड, एक ऐसा नाम जिसने छोटे से जनपद रामपुर को विश्व पटल पर लाने में अहम भूमिका निभाई है। चीते जैसी फुर्ती वाला यह स्पेशल डॉग शिकार के शौकीनों की पहली पसंद बना हुआ है। डॉग रेस हो या फिर हंटिंग दोनों में अपना लोहा मनवा चुका रामपुर हाउंड की स्थिति यह है कि हजारों से शुरू हुई इसकी कीमत अब लाखों तक पहुंच चुकी है। बकायदा लंदन से यह ब्रीड पेटेंट है। ब्रिटिश हुकूमत में रामपुरी हाउंड सम्मान पा चुका है।
ऐसे तैयार हुई नस्ल
रामपुर हाउंड की यह संकर प्रजाति कई उच्च प्रजातियों के मिश्रण का परिणाम है। बंटी केनन (केसीआई रजिस्टर्ड) बताते हैं कि इसमें तजाकिस्तान, अफगानिस्तान, इंग्लैंड एवं देशी नस्ल कुत्ता की नस्ल मिश्रित है। इसे इसका लुक इसकी ताजी एवं अफगान नस्ल से मिला है। जबकि, रफ्तार इसे इसकी अंग्रेजी ग्रे-हाउंड से मिली है। अपने शिकार का पीछा करने में इसका कोई जवाब नहीं। जंगली सुअर जैसे खूंखार जानवरों का शिकार करने में इसका कोई मुकाबला नहीं कर सकता। गंभीर रूप से घायल हो जाने पर भी यह उसे नहीं छोड़ता। दरअसल रामपुर हाउंड को सुबह के शिकार के उद्देश्य से ब्रीड किया गया। यह चीते जैसी फुर्ती से अपने शिकार को गर्दन से पकड़ता है और उसे धराशायी कर देता है। हार्स रेस की तरह डॉग रेस भी होती है। शिकार के लिए भी इस्तेमाल होता है। लिहाजा, चीते की तरह तेजी से दौड़ सके और आसानी से अपने शिकार को दबोच सके। ऐसी दोनो खूबियों में माहिर है रामपुर हाउंड। यही वजह है कि न सिर्फ भारत बल्कि, पड़ोसी मुल्कों में भी रामपुर हाउंड की खासी डिमांड है। यहां यह ब्रीड तैयार तो होती है, डॉग ऊंची कीमत में बेचे भी जाते हैं।
ये है रामपुर हाउंड का इतिहास
रामपुर स्टेट के चौथे नवाब अहमद अली खान बहादुर ने एक ऐसी प्रजाति के विषय में विचार किया जो उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप हो। चूंकि, रामपुर उस समय चारो ओर से घने जंगलों से घिरा हुआ था। जिनमें तमाम तरह के खूंखार जंगली जानवरों का वास था, शिकार के उद्देश्य से ऐसी सहयोगी की दरकार थी जो किसीभी प्रकार के जंगली जानवरों से डटकर मुकाबला कर सके और उसे धराशायी करने में पूरी तरह सक्षम हो। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए 1794-1840 के मध्य ग्रे हाउंड से अफगान हाउंड और फिर ताजी हाउंड का क्रास कराने के बाद रामपुर हाउंड ईजाद हुआ। 1923 में साइरस नाम के रामपुर हाउंड ने शिकार में झंडे गाड़े। भारत में कुत्तों की दो ही स्पेशल ब्रीड तैयार की गईं जिसमें दक्षिण भारत की राज पलायन और रामपुर की रामपुर हाउंड शामिल है।
क्या है केसीआई
केनल क्लब आफ इंडिया को शार्ट फार्म में केसीआई कहते हैं। डॉग रेस या डॉग से जुड़े अन्य कंपटीशन में शामिल होने के लिए केसीआई से रजिस्ट्रेशन कराया जाता है। यहां से कुत्ते का बाकायदा नाम और सर्टीफिकेट जारी होते हैं। मूलत: ये लंदन की कंपनी का क्लब है, जिसका इंडिया में आफिस चेन्नई में है।
ये हैं केसीआई रजिस्टर्ड
-बंटी केनल
-आमिर केनल
यहां है रामपुर हाउंड की डिमांड
भारत में लखनऊ, बनारस, दक्षिण भारत के अलावा विदेश में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सऊदी अरब आदि में खासी डिमांड है। यहां लोग गिफ्ट में भी रामपुर हाउंड दे देते हैं। भारत में 20-25 हजार रुपये से लेकर डेढ़-दो लाख रुपये तक रामपुर हाउंड की कीमत है।
अंग्रेजों ने सम्मानित किया था रामपुर हाउंड
सन 1857 के गदर से पूर्व अंग्रेजी शासन काल में कलकत्ता में हुई प्रदर्शनी में रामपुर स्टेट की बेमिसाल वस्तुओं के साथ ही रामपुर हाउंड को भी शामिल किया गया था। तब वहां अंग्रेजों ने रेस कराई थी, जिसमें रामपुर हाउंड विजेता रहा था। इस पर सम्मानित किया गया था।
क्या है खूबी
-लंबाई करीब डेढ़ फुट से लेकर सवा दो फुट तक होती है। -लंबी टांगे और सीना पतला होता है।
-कान पीछे की ओर मुड़े होते हैं।
-इसके पंजों की पकड़ मजबूत होती है और नाखून शिकार के लिए खूंखार होते हैं।
-23 से 28 इंच तक ऊंचा होता है।
-इसका भार करीब 38-40 किलोग्राम तक होता है।
-इसकी मादा सवा फुट से लेकर दो फुट तक हो सकती है।
-मादा का भार 35-38 किलोग्राम तक होता है।
-चीते की तरह तेज दौड़ता है।
-शिकार को पकड़ने में माहिर है।
-इसकी रफ्तार करीब 70 किलोमीटर प्रति घंटा तक होती है।
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