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Tuesday, 28 February 2017

रामपुर रजा लाइब्रेरी, यानी बेशकीमती पांडुलिपियों का खजाना



बदलते जमाने के साथ हाईटेक हुई रजा लाइब्रेरी
एशिया की दूसरे नंबर की लाइब्रेरी रजा लाइब्रेरी ने भी बदलते जमाने के साथ अपना कलेवर बदला है। बेशकीमती पाण्डुलिपियां अब आन लाइन होंगी। पाण्डुलिपियों को संरक्षित किया जा रहा है। फारसी में लिखी रामायण का हिन्दी में अनुवाद हो चुका है। नवाब हामिद अली खां ने 1905 में किला में इस लाइब्रेरी की शुरुआत की। आजादी के बाद नवाब रजा अली खां ने कुतुब खाना सरकारी से बेशकीमती किताबों और पाण्डुलिपियों को हामिद मंजिल में महफूज किया था।

लाइब्रेरी की धरोहर
उर्दू, हिंदी, फारसी, अरबी, संस्कृत, पश्तो और टर्की की किताबें हैं। पांडुलिपियां हैं।

यहां से आते हैं शोधार्थी
सऊदी अरब, लंदन, जर्मन, फ्रांस, अमेरिका, जापान, इटली, ईरान, यमन, कोलंबिया और अफ्रीका से।

फारसी में लिखी रामायण का हिंदी अनुवाद
फारसी में लिखी रामायण का अब हिन्दी में अनुवाद हो चुका है। सुंदर नक्काशी के साथ इस सचित्र हिंदी रामायण का विमोचन 2011 में हुआ। रामायण का फारसी से हिन्दी अनुवाद पूर्व विशेष कार्याधिकारी स्वर्गीय डा0 वकारूल हसन सिद्दीकी और पूर्व विशेष कार्याधिकारी प्रोफेसर शाह अब्दुस्सलाम ने किया था। यह रामायण वाल्मीकि द्वारा संस्कृत में रचित थी। इससे पहले इसका अनुवाद सुमेर चन्द्र ने फारसी जुबान में किया था। इसमें खास बात यह है कि रामायण का आगाज बिस्मिल्लाह हिर रहमान निर रहीमसे किया गया है।

भोजपत्र पर लिखी रामायण, मौला अली के हाथ का लिखा कुरान हैं बेशकीमती
रजा लाइब्रेरी के खजाने में भोजपत्र पर तेलगू व मलयालम में लिखी रामायण और सातवीं सदी में ऊंटकी खाल पर हजरत अली के हाथ से लिखा कुरान शरीफ बेशकीमती हैं। यहां आने वालों के लिए मुख्य आकर्षण हैं। इसके अलावा आठवीं सदी में जाफरो सादिक अलैहिस्सलाम के हाथ से लिखा कुरान मजीद, नवीं सदी में इमाम रजा के हाथ से लिखा कुरान और दसवीं सदी में इब्ने मुकला के हाथ से लिखा कुरान भी दर्शनीय है।

लाइब्रेरी पर हुआ डाक टिकट जारी
रामपुर। 19 जून 2011 को इस लाइब्रेरीकी ख्याति को डाक टिकट जारी होने पर एक और बुलन्दी मिली। भारत सरकार संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय डाक विभाग द्वारा रजा लाइब्रेरी स्मारक डाक टिकट का विमोचन 19 जून 2009 को महामहिम टी0वी0 राजेश्वर राज्यपाल उ0प्र0 ने राजभवन लखनऊ में किया था। इस मौके पर पूर्व विशेष कार्यधिकारी प्रो0 शाह अब्दुस्सलामऔर चीफ पोस्ट मास्टर जनरल उ0प्र0 नीलम श्रीवास्तव मौजूद थे।

पाण्डुलिपियों का संरक्षणदीमक या बारिश से भीगकर खराब हो चुकी किताबों को दुरुस्त करने के लिए रसायनों का प्रयोग करने का रास्ता अख्तियार किया गया है।

रजा लाइब्रेरीकी व्यवस्था देखता है बोर्ड
रजा लाइब्रेरी की तमाम व्यवस्था पर लाइब्रेरी बोर्ड की नजर रहती है। कोई भी कार्य करने से पहले बोर्डकी मंजूरी जरूरी होती है। लाइब्रेरी की तमाम व्यवस्था बोर्ड की निगरानी में रहती है। वर्तमान में बोर्ड के चेयरमैन राज्यपाल राम नाईक,राज्यपाल उत्तर प्रदेश  हैं। जबकि, बोर्ड में आठ नामित सदस्य हैं।

यह है खास-
-इंडो-यूरोप वास्तुकला का अदभुत नमूना है रजा लाइब्रेरी।
-फ्रांसीसी इंजीनियर मिस्टर डब्ल्यू0सी0राइट ने बनाया था इस इमारत का नक्शा।
-प्रत्येक माह अमेरिका, लंदन, सऊदी अरब,जापान, इटली, ईरान,यमन, कोलंबिया, अफ्रीका आदि मुल्कों से आते पन्द्रह से बीस शोधार्थी।
-मध्यकालीन पेंटिग का इतिहास जानने की रहती है ललक।

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