रामपुर। संचार के क्षेत्र में आए क्रांतिकारी बदलाव ने एक बार फिर आल इंडिया रेडियो की तरंगों को उड़ान दे दी। रेडियो हाईटेक हुआ और फिर कायम कर लिया अपना बर्चस्व। अधिकारिक दावे पर भरोसा करें तो आकाशवाणी रामपुर के कार्यक्रम सुनने वालों की संख्या 2.50 करोड़ है।
तरह-तरह के टेलीविजन चैनलों के आने के बाद आकाशवाणी के आगे संकट आ गया था। लेकिन, बदलते दौर से कदमताल की, गुणवत्ता सुधारी और मोबाइल पर एफएम सेवाएं शुरू हुईं तो रेडियो का क्रेज फिर बढ़ने लगा। आकाशवाणी रामपुर की बात करें तो वर्तमान में रामपुर, मुरादाबाद, जेपीनगर, बरेली, बदायूं, पीलीभीत, ऊधम सिंह नगर में रुद्रपुर, नैनीताल और चम्पावत के मैदानी भाग में इसके श्रोता हैं, जिनकी संख्या ढाई करोड़ है। यह दावा आकाशवाणी रामपुर के अधिकारियों का है। गुरुवार को विश्व रेडियो दिवस पर यूएनओ ने महिलाआें के लिए रेडियो की भूमिका थीम जारी की है।
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कुछ इस तरह हुआ हाईटेक
-पहले आकाशवाणी में फीते पर रिकार्डिंग होती थी। पोस्टकार्ड के जरिए श्रोता अब अपनी फरमाईश करते थे। लेकिन, वक्त बदला तो रिकार्डिंग टेप की छुट्टी हो गई। कम्प्यूटर पर वायस आडियो साफ्टवेयर आ गए। डिजिटल रिकार्डिंग होने लगी। आवाज की गुणवत्ता भी सुधरी।
-शहर से लेकर गांव तक मोबाइल कम्युनिकेशन में क्रांतिकारी जुड़ाव आया तो आल इंडिया रेडियो ने फोन इन कार्यक्रम शुरू किए। फरमाईशी कार्यक्रम, डाक्टर से सलाह, किसान भाइयों के लिए वैज्ञानिकों की राय सरीखे कार्यक्रम फोनइन कर दिए गए।
-एसएमएस के जरिए भी फरमाईशी कार्यक्रम शुरू किए गए। मौजूदा हालत ये है कि हर दिन यदि 200 पोस्टकार्ड आते हैं तो करीब 250 एसएमएस भी आकाशवाी रामपुर की साइट पर डिस्पले होते हैं। जिन्हें भेजने वालों को उनकी पसंद के गीत सुनवाए जाते हैं।
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कब क्या हुआ
-प्रथम पंचवर्षीय योजना में रामपुर को मिला आकाशवाणी केंद्र।
-1960 में आकाशवाणी केंद्र बनाने का काम किया गया शुरू।
-25 जुलाई 1965 को स्थापित किया गया ट्रांसमीटर।
-18फरवरी 1975 में तैयार किया गया स्टूडियो।
-जून 1975 से प्रात: कालीन सभा की हुई शुरूआत।
-26 जनवरी 1979 को तीनों सभाआें में कार्यक्रम प्रसारण शुरू।
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फैक्ट फाइल
-891 किलो हट्र्ज पर मिलते हैं आकाशवाणी रामपुर के सिग्नल।
-2 किलोवाट की क्षमता है आकाशवाणी के ट्रांसमीटर की।
-2.50 करोड़ है आकाशवाणी रामपुर के श्रोताआें की संख्या।
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-वक्त बदला तो रेडियो का फिर पुराना दौर लौट आया है। अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर हर वर्ग को रेडियो ने खुद से जोड़ा। संस्कृति बचाने के लिए कार्यक्रम प्रसारित किए। विश्व रेडियो दिवस पर यूएनओ ने वूमेन के लिए रेडियो की भूमिका थीम दी है। जिस पर प्रोग्राम होंगे।
-मंदीप कौर, कार्यक्रम प्रमुख
तरह-तरह के टेलीविजन चैनलों के आने के बाद आकाशवाणी के आगे संकट आ गया था। लेकिन, बदलते दौर से कदमताल की, गुणवत्ता सुधारी और मोबाइल पर एफएम सेवाएं शुरू हुईं तो रेडियो का क्रेज फिर बढ़ने लगा। आकाशवाणी रामपुर की बात करें तो वर्तमान में रामपुर, मुरादाबाद, जेपीनगर, बरेली, बदायूं, पीलीभीत, ऊधम सिंह नगर में रुद्रपुर, नैनीताल और चम्पावत के मैदानी भाग में इसके श्रोता हैं, जिनकी संख्या ढाई करोड़ है। यह दावा आकाशवाणी रामपुर के अधिकारियों का है। गुरुवार को विश्व रेडियो दिवस पर यूएनओ ने महिलाआें के लिए रेडियो की भूमिका थीम जारी की है।
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कुछ इस तरह हुआ हाईटेक
-पहले आकाशवाणी में फीते पर रिकार्डिंग होती थी। पोस्टकार्ड के जरिए श्रोता अब अपनी फरमाईश करते थे। लेकिन, वक्त बदला तो रिकार्डिंग टेप की छुट्टी हो गई। कम्प्यूटर पर वायस आडियो साफ्टवेयर आ गए। डिजिटल रिकार्डिंग होने लगी। आवाज की गुणवत्ता भी सुधरी।
-शहर से लेकर गांव तक मोबाइल कम्युनिकेशन में क्रांतिकारी जुड़ाव आया तो आल इंडिया रेडियो ने फोन इन कार्यक्रम शुरू किए। फरमाईशी कार्यक्रम, डाक्टर से सलाह, किसान भाइयों के लिए वैज्ञानिकों की राय सरीखे कार्यक्रम फोनइन कर दिए गए।
-एसएमएस के जरिए भी फरमाईशी कार्यक्रम शुरू किए गए। मौजूदा हालत ये है कि हर दिन यदि 200 पोस्टकार्ड आते हैं तो करीब 250 एसएमएस भी आकाशवाी रामपुर की साइट पर डिस्पले होते हैं। जिन्हें भेजने वालों को उनकी पसंद के गीत सुनवाए जाते हैं।
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कब क्या हुआ
-प्रथम पंचवर्षीय योजना में रामपुर को मिला आकाशवाणी केंद्र।
-1960 में आकाशवाणी केंद्र बनाने का काम किया गया शुरू।
-25 जुलाई 1965 को स्थापित किया गया ट्रांसमीटर।
-18फरवरी 1975 में तैयार किया गया स्टूडियो।
-जून 1975 से प्रात: कालीन सभा की हुई शुरूआत।
-26 जनवरी 1979 को तीनों सभाआें में कार्यक्रम प्रसारण शुरू।
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फैक्ट फाइल
-891 किलो हट्र्ज पर मिलते हैं आकाशवाणी रामपुर के सिग्नल।
-2 किलोवाट की क्षमता है आकाशवाणी के ट्रांसमीटर की।
-2.50 करोड़ है आकाशवाणी रामपुर के श्रोताआें की संख्या।
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-वक्त बदला तो रेडियो का फिर पुराना दौर लौट आया है। अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर हर वर्ग को रेडियो ने खुद से जोड़ा। संस्कृति बचाने के लिए कार्यक्रम प्रसारित किए। विश्व रेडियो दिवस पर यूएनओ ने वूमेन के लिए रेडियो की भूमिका थीम दी है। जिस पर प्रोग्राम होंगे।
-मंदीप कौर, कार्यक्रम प्रमुख
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