रामपुरः मोबाइल टॉवर रेडिएशन साइलेंट डेथ के रूप में सामने आ रहा है। सरकार भले ही स्वास्थ्य पर रेडिएशन से पड़ने वाले प्रभावों को नकारती रहे पर, मोबाइल टॉवर रेडिएशन पर हो रहे सर्वों से लगातार इस बात की पुष्टि हो रही है कि यह स्वास्थ्य के लिए घातक हैं। मोबाइल टॉवर रेडिएशन अनिंद्रा से लेकर ब्रैन कैंसर तक की वजह बन रहा है। जबकि भारत के मुकाबले अन्य कई देशों में मोबाइल टॉवर रेडिएशन का लेवल एक हजार से दस हजार गुना तक कम है। साथ ही इन देशों में मोबाइल टॉवर रेडिएशन को लेकर सख्त कानून भी हैं। मोबाइल टॉवर रेडिएशन से जुड़े कुछ चौंकाने वाले तथ्यों को फोकस करते यह बिंदु :-
1 :- एनवायरमेंट वर्किंग ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार मोबाइल रेडिएशन एक्स-रे मशीन और न्यूकलर वैस्ट से होने वाले रेडिएशन के समान घातक है। मोबाइल रेडिएशन भी न्यूकलर वैस्ट और एक्स-रे मशीन की तरह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेज को एक साथ इलेक्ट्रिक व मैग्नेटिक वेब के रूप में उत्सर्जित करता है। इनका लेवल अधिक होने पर यह शरीर के लिए घातक हो सकती हैं।
2 :- एनवायरमेंट वर्किंग ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार मोबाइल रेडिएशन स्पर्म काउंट को भी प्रभावित करती हैं।
3 :- मोबाइल टॉवर रेडिएशन पर एनवायरमेंट वर्किंग ग्रुप की रिपोर्ट ने डब्लूएचओ के एक फैमिली की कंप्लेंट के आधार पर इस बात की पुष्टि की है कि मोबाइल रेडिएशन ग्लिओमा के लिए खतरा बढ़ा देती है। जिससे ब्रैन कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। जयपुर के एक परिवार ने इस संबंध में खुद को पीड़ित बताया है।
4 :- सर्वे के मुताबिक मोबाइल टॉवर की पचास मीटर रेंज में होने वाले रेडिएशन का शरीर पर उतना ही प्रभाव पड़ता है जितना एक व्यक्ति को 19 मिनट के लिए माइक्रोवेब ओवन में रख दिया जाए।
5 :- 01 सितंबर को मोबाइल टॉवर रेडिएशन से जुड़ी नई गाइड लाइन में रेडिएशन लेवल दस गुना तक कम करने के निर्देश दिए गए हैं। जबकि अन्य देशों की तुलना में भारत में मोबाइल टॉवर रेडिएशन का लेवल एक हजार से दस हजार गुना तक अधिक है। जिससे इससे होने वाले नुकसान का अंदाजा लगाया जा सकता है।
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मोबाइल टॉवर से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी :
-टॉवर से निकलने वाले रेडिएशन का लेवल कम कर इससे होने वाले शारीरिक नुकसान से बचा जा सकता है।
-मोबाइल टॉवर जो कि लंबे एंटीने वाले होते वह घातक होते हैं। जबकि गोल डिश वाले टॉवर बहुत कम हानिकारक होते हैं।
-सरकार ने 2006 में स्कूल और अस्पतालों के निकट मोबाइल टॉवर न लगाने के निर्देश दिए थे।
-मोबाइल टॉवर के निकट बने घरों में सिग्नल मिलने के लिए आवश्यक स्तर से हजार से दस हजार गुना तक रेडिएशन का स्तर अधिक होता है।
-माइनस तीस डीबीएम स्तर तक का रेडिएशन सुरक्षित होता है। जो कि रेडिएशन नापने वाली मशीन पर ग्रीन लाइट के रूप में शो होता है।
-माइनस 30 से 15 डीबीएम स्तर खतरे की चेतावनी होती है।
-माइनस 15 डीबीएम या फिर इससे नीचे का स्तर मानव के लिए बेहद खतरनाक होता है। जो कि रेडिएशन मशीन पर रेड लाइट के रूप में शो होता है।
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इन बीमारियों की चपेट में आने की होती है आशंका : सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक मोबाइल टॉवर रेडिएशन से व्यक्ति अनिंद्रा, सिर दर्द, चिढ़चिढ़ापन, माइग्रेन से लेकर ब्रैन कैंसर तक की चपेट में आ सकता है।
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चंद रुपयों के लालच में जिंदगी से खिलवाड़
रामपुर। चंद रुपयों के लालच में लोग जिंदगी से भी खिलवाड़ करने में नहीं चूक रहे हैं। आप किसी भी शहर, मोहल्ले और कस्बों में निकल जाएं। आपको घनी आबादी के बीच बने घरों के ऊपर मोबाइल टॉवर लगे हुए दिखाई दे जाएंगे। इन मोबाइल टॉवर को लगाने के लिए मोबाइल कंपनी से गृह स्वामी को कुछ हजार की रकम प्रतिमाह किराए के रूप में मिलती है। पर वह इस बात से अंजान हैं कि उनका चंद रुपयों का लालच उनके अमूल्य जीवन पर भारी पड़ रहा है। सिफ मोबाइल टॉवर लगवाने वाले घरों में रहने वाली जिंदगियां ही नहीं बल्कि उनके आसपास सैकड़ों मीटर की दूरी में रहने वाली जिंदगियां इसके रेडिएशन का शिकार होती हैं।
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मोबाइल टॉवर रेडिएशन के शिकंजे में परिवार
रामपुर। मोहम्मद हस्सान, होमेरा इरफान गनी, ए गनी, शगुफ्ता गनी, शहाब मलिक यह वो चंद नाम हैं जो मोबाइल टावर के रेडिएशन में फंसे जिले के हजारों लोगों के नामों में शामिल हैं। शहर के पक्का बाग निवासी मोहम्मद हस्सान का पूरा कुनबा मोबाइल टॉवर रेडिएशन की मार झेल रहा है। हायपरटेंशन, डिप्रेशन, माइग्रेन से लेकर ब्रेन कैंसर तक तमाम न्यूरोलॉजिकल डिजीज का कारण बनने वाले मोबाइल टावर रेडिएशन ने इस परिवार को भी बीमारियों के दलदल में धकेल दिया है।
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रेडिएशन से जंग में प्रधानमंत्री दफ्तर तक दस्तक
रामपुर। मोबाइल टॉवर रेडिएशन से होने वाले स्वास्थ्य नुकसान को लेकर शहर के एक जागरूक व्यक्ति ने बीएसएनएल अधिकारियों से लेकर प्रधानमंत्री दफ्तर तक दस्तक दी है। हर दर से उसे एक पत्र ही जवाब के रूप में आया। तमाम प्रयासों के बाद भी आज तक मोबाइल टॉवर रेडिएशन के शिकंजे से मुक्ति नहीं मिल पाई है।
बाजार नसरूल्ला खां निवासी शहाब मलिक इंडियन सोशियल सर्विस डेवलपमेंट फाउंडेशन के चेयरमैन हैं। अपने इसी संगठन के माध्यम से शहाब मलिक ने मोबाइल टॉवर रेडिएशन से होने वाली बीमारियों के खिलाफ प्रधानमंत्री कार्यालय तक जंग लड़ी है। शहाब मलिक ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर घनी आबादी में लगाए गए मोबाइल टॉवर से लोगों के बीमार होने का हवाला देते हुए टॉवर हटाने की मांग की।
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