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Tuesday, 28 February 2017

रामपुरी वायलिन से गूंज रहे ‘मुहब्बत’ के तराने

वायलिन...नाम सुनते ही फिल्म मोहब्बतें का वह दृश्य सामने आ जाता है, जिसमें शाहरुख खान वायलिन बजा रहे होते हैं। जी हां, ये वायलिन अपने शहर में न सिर्फ बनते हैं बल्कि, देश और विदेशों की आवोहवा में संगीत की धुन घोलते हैं। ये कारोबार आज रामपुर शहर के कारखानों से निकलकर दूसरे देशों तक जा पहुंचा है। लेकिन, बात यहीं नहीं थमती। जिस तरह युवाओं पर वायलिन का जादू चढ़ा है, उससे इस कारोबार में और भी संभावनाएं हैं। देश ही नहीं विदेश तक धूम मचा रहे रामपुरी वायलिन के कारोबार से जुड़ी पेश है खास रिपोर्ट...!

 


ऐसे तैयार होता है वायलनि
एनजीएम म्युजिकल कंपनी के स्वामी ग्यासुद्दीन बताते हैं कि कश्मीर और हिमाचल से फर्र की लकड़ी, कोलकाता से गज बो, तार, खूंटी, प्ले पीस, फिंगर बोर्ड, एंड पिन और साउंड के लिए जर्मनी की मयपिलवुड से हम लोग  वायलिन तैयार कराते हैं। देश-विदेश में रामपुरी वायलिन के नाम से मशहूर इस कारोबार से शहर में करीब 250 लोग जुड़े हैं। लगभग दो सौ परिवारों की रोजी-रोजी का जरिया बने इस कारोबार को हमारी म्यूजिकल कंपनी समेत शहर की चार मुख्य म्यूजिकल कंपनियां बढ़ावा दे रही हैं। हालांकि, सरकार इसे विदेशी वाद्य यंत्र मानती है, इसलिए टैक्स के दायरे में रखा है। फिर भी यह कारोबार देश के प्रमुख शहरों के रास्तों से होता हुआ पड़ोसी मुल्कों में भी अपनी पहचान बनाए हुए है। टैक्स फ्री कराने के लिए कानूनी जंग लड़ी जा रही है। कमिश्नरी में वाद चल रहा है। सरकारी सहूलियतें मिलीं, टैक्स फ्री हुआ तो कारोबार में और भी उछाल आ जाएगा। फिल्मों में वायलिन दिखाए जाने से युवाओं का शौक वायलिन की ओर बढ़ा है। सो संभावनाएं अच्छी हैं।

सत्तर साल पुराना है इतिहास
रामपुरी वायलिन का इतिहास करीब सत्तर साल पुराना है। संगीत और काष्ठशिल्प के शौकीन अमीरुद्दीन और हसीनुद्दीन दोनों सगे भाइयों का हुनर रामपुर में वायलिन का जनक बना। दरअसल, अमीरुद्दीन एक बार बाजार गए, वहां जापान का बना हुआ वायलिन उन्हें पसंद आया। उन्होंने फुटपाथ पर लगे फड़ से इसे खरीद लिया और यहां अपने घर ले आए। एक दिन मचान से कोई सामान उतारते वक्त वायलिन नीचे गिरा और टूट गया, जिस पर उन्हें बड़ा दुख हुआ। उन्होंने काष्ठशिल्प में माहिर अपने भाई हसीनुद्दीन से कहा कि किसी भी तरह वह वायलिन बना दें। बस यहीं से रामपुरी वायलिन की शुरुआत हो गई।

मुहब्बते फिल्म ने जगाई ललक
वायलिन कारोबार करीब 13-14 साल पहले मुहब्बतें फिल्म की रिलीजिंग से उछला। इस फिल्म में शाहरुख खान को वायलिन बजाते हुए दिखाया गया है। तब से युवाआें में वायलिन सीखने की दिलचस्पी पैदा हो गई। इसके चलते यहां के वायलिन की मांग तेजी से बढ़ती गई। आज भी वायलिन वाद्य यंत्रों के शौकीन युवाआें में अपनी पकड़ बनाए हुए हैं।

चाइनीज वायलिन से है मुकाबला
रामपुरी वायलिन का मुकाबला चाइनीज वायलिन से है। फिलवक्त में कम कीमत के बावजूद चायना मार्केट को यहां का वायलिन टक्कर दे रहा है। कारोबारी मोहम्मद जफर के मुताबिक पंद्रह-सोलह सौ रुपये में चाइनीज वायलिन आ जाता है जबकि, रामपुरी वायलिन की कीमत ज्यादा है। फिर भी यहां का वायलिन अधिक पसंद किया जाता है। शुरुआती दौर में करीब चार-पांच साला पहले चायना वायलिन ने टक्कर दी थी लेकिन, मौजूदा वक्त में रामपुरी वायलिन की डिमांड ज्यादा है।

यहां बनते हैं रामपुरी वायलिनसल्वाकिया म्यूजिकल्स, रामपुर
रागाज म्यूजिकल्स, रामपुर
धुन म्यूजिकल, कंपनी, रामपुर
एनजीएम म्यूजिकल्स, कंपनी, रामपुर

कोलकाता समेत कई शहरों से आता है कच्चा माल
रामपुरी वायलिन बनता भले ही अपने शहर में है। लेकिन, इसके लिए कच्चा माल कोलकाता समेत दूसरे कई शहरों से आता है। साउंड के लिए जो लकड़ी इस्तेमाल होती है, वह जर्मन की है। जो दिल्ली और गाजियाबाद से मंगवायी जाती है। इसके अलावा गज बो, तार, खूंटी, फिंगरबोर्ड, एंडपिन आदि कोलकाता से मंगवायी जाती हैं। जबकि, फर्र की लकड़ी हिमाचल और कश्मीर से खरीदी जाती है।

यहां-यहां होती है सप्लाई
कोलकाता, दिल्ली, तमिलनाडु और पंजाब। जबकि कोलकाता, तमिलनाडू, दिल्ली से श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफ्रीका को एक्सपोर्ट होता है।

हुनर बना रोजी का जरिया
हाथों का हुनर कभी बेकार नहीं जाता। जी हां, वायलिन बनाने वाले कारीगर भी यही मानते हैं। उनकी रोजी-रोटी का जरिया उनका हुनर बना हुआ है। शेप सेटिंग करने वाले कारीगर मोहम्मद फूल कुरैशी कहते हैं कि आधा घंटा में एक वायलिन की शेप तैयार कर देते हैं। 1500-2500 रुपये माहवार कमा लेते हैं। नेक तैयार करने वाले अजीज अहमद 25 साल से अपना हुनर दिखा रहे हैं। वह कहते हैं कि कारीगरी ही उनके परिवार की आय का स्रोत है।

फैक्ट फाइल-
-जिले में वायलिन कारीगर करीब 200
-कच्चा माल लाने-ले जाने के कमीशन एजेंट करीब 10
-शहर में वायलिन निर्माता कंपनियां चार
-मुख्य वायलिन कारोबारी 10-15
-कोलकाता, कश्मीर, हिमाचल से रॉ मेटेरियल
-ट्रांपैरेंट थिनर कलरफुल वायलिन की डिमांड ज्यादा
-एक वायलिन 900-1200 में बनकर तैयार
-मार्केट में कंपलीट वायलिन सेट की कीमत 2000-2500 रुपये
-देश में कोलकाता, पंजाब, तमिलनाडू और दिल्ली सप्लाई
-श्रीलंका, अफ्रीका, पाकिस्तान और बांग्लादेश तक कारोबार

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